मोटापे से भी रीढ़ की हड्डी में दर्द

अनियंत्रित खानपान और शारीरिक श्रम में कमी से मोटापा बढ़ रहा है। अत्याधिक मोटापा रीढ़ की हड्डियों में दर्द की वजह बन रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Feb 2019 02:12 AM (IST) Updated:Sun, 17 Feb 2019 02:01 PM (IST)
मोटापे से भी रीढ़ की हड्डी में दर्द
मोटापे से भी रीढ़ की हड्डी में दर्द

जागरण संवाददाता, कानपुर : अनियंत्रित खानपान और शारीरिक श्रम में कमी से मोटापा बढ़ रहा है। अत्याधिक मोटापा रीढ़ की हड्डियों में दर्द की वजह बन रहा है। इसमें लापरवाही से रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो जाता है। यह जानकारी शनिवार को गैंजेज क्लब में आयोजित आइएमए की वैज्ञानिक गोष्ठी में नई दिल्ली के वेंकटेश्वर हास्पिटल न्यूरो सर्जरी के विभागाध्यक्ष एवं निदेशक डॉ. पीके सचदेवा ने दी।

उन्होंने कहाकि देश में पांच करोड़ व्यक्ति आस्टियोपोरोसिस से परेशान हैं। उम्र बढ़ने पर बोन मिनरल डेंसिटी घटने लगती है, जिससे हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है। हड्डियां कमजोर होने से रीढ़ की हड्डी में दबाव बढ़ता है और फ्रैक्चर होता है। ऐसे केस में बेड रेस्ट एवं फिजिकल थेरेपी दी जाती है। कुछ मामलों में आपरेशन की भी जरूरत पड़ती है। ऐसे केस में बगैर आपरेशन का विकल्प वर्टिबोप्लास्टी है। दूसरे वक्त वेंकटेश्वर अस्पताल के कैंसर सर्जन डॉ. दिनेश चंद्र कटियार ने सर्जिकल मैनेजमेंट ऑफ कॉमन कैंसर पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि स्तन कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, गले का कैंसर, बच्चेदानी का मुख एवं अन्य कैंसर का इलाज सर्जरी से संभव है। कैंसर की शुरुआत में सर्जरी कराने से पूरी तरह रोकथाम संभव है। एडवांस स्टेज के कैंसर में सर्जरी के साथ कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी अहम भूमिका निभाती है। तीसरे वक्ता कार्डियो थेरोसिक एंड वेस्कुलर सर्जरी के निदेशक डॉ. मोहम्मद मुबीन ने 21वीं सदी में नई तकनीक पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि धमनियों में रुकावट में बाइपास सर्जरी बेहतर विकल्प है। दूसरा और सस्ता विकल्प एंजियोप्लास्टी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता आइएमए उपाध्यक्ष डॉ. रीता मित्तल ने की। संचालक डॉ. जेएस कुशवाहा ने किया। इसमें डॉ. एसी अग्रवाल, डॉ. विकास मिश्रा, डॉ. बृजेंद्र शुक्ला मौजूद रहे।

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