विश्वनाथन आनंद जैसा जुनून दिला रहा कानपुर की बेटियाें को मुकाम, अंतरराष्ट्रीय शतरंज रेटिंग में हैं शुमार
जिस उम्र में बच्चे वीडियो गेम्स और मोबाइल पर समय व्यतीत करते हैं। उस उम्र में तीन बहनों की तिकड़ी ने काबिलियत के दम पर इतने पुरस्कार हासिल कर लिए हैं जितने आपको किसी दुकान में भी देखने को ना मिलें।
कानपुर, [जागरण स्पेशल]। देश के शतरंज इतिहास में दो अगस्त का दिन यादगार लम्हों में शुमार रहता है। इसी दिन वर्ष 1987 में भारत के विश्वनाथन आनंद ने फिलिपींस में आयोजित विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप में खिताबी जीत दर्ज की थी। यह करिश्मा करने वाले आनंद पहले एशियाई शतरंज खिलाड़ी थे। उनके जैसा बनने का जुनून लेकर शहर की तीन बेटियां तान्या, साक्षी व प्रतिक्षा पूरी शिद्दत से मुकाम की ओर बढ़ रहीं हैं। आनलाइन स्तर पर हुई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में विजय पताका लहराने वाली बेटियां अंतरराष्ट्रीय रेटिंग में शुमार हैं।
जिस उम्र में बच्चे वीडियो गेम्स और मोबाइल पर समय व्यतीत करते हैं। उस उम्र में तीन बहनों की तिकड़ी ने काबिलियत के दम पर इतने पुरस्कार हासिल कर लिए हैं, जितने आपको किसी दुकान में भी देखने को ना मिलें। जूही में रहने वाले नरेंद्र वर्मा व भारती वर्मा की तीन बेटियां प्रतिक्षा, साक्षी व तान्या शतरंज खेल में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहीं हैं। उनकी ललक को देखकर कोच हरीश रस्तोगी शतरंज तीनों विधा क्लासिकल, बिल्टज, रैपिड का प्रशिक्षण दे रहे हैं। तान्या, साक्षी व प्रतिक्षा तीनों आनलाइन साफ्टवेयर की मदद से समय प्रबंधन और टाइमिंग में निपुणता हासिल कर रहीं हैं। कोच के मुताबिक तीनों खिलाडिय़ों की टाइमिंग में बेहतर पकड़ है। वे अच्छी चालों को और बेहतर चाल में बदलने में माहिर हैं। प्रतिद्वंद्वी पर समय का दबाव बनाना और जीत दर्ज करना इनकी काबिलियत को दर्शाता है।
विदेशी खिलाडिय़ों को दे चुकीं मात: अंतरराष्ट्रीय रेटिंग में शुमार: शहर की यह बेटियां आनलाइन प्रतियोगिता में कई विदेशी खिलाडिय़ों को मात दे चुकीं हैं। साक्षी बिल्टज रेटिंग में 1774, तान्या 2017 में शुमार हैं।