मुंबई और कोलकाता की सुंदर राखियों से बाजार गुलजार, विदेशी नहीं स्वदेशी राखी बढ़ाएंगी भाईयों के कलाईयों की शोभा

Special Of Rakshabandhan पिछले वर्ष कोरोना की वजह से चीन से राखी नहीं आई थीं लेकिन दुकानदारों ने पुराना स्टाक निकालकर बेचा था। इस साल बाजार में चीन की राखियां नहीं हैं। मुंबई से स्टोन (धागे में आॢटफिशियल नग पिरोकर बनाई गई) राखियां आई हैं।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Thu, 19 Aug 2021 11:31 AM (IST) Updated:Thu, 19 Aug 2021 05:18 PM (IST)
मुंबई और कोलकाता की सुंदर राखियों से बाजार गुलजार, विदेशी नहीं स्वदेशी राखी बढ़ाएंगी भाईयों के कलाईयों की शोभा
कोलकाता से मारवाड़ी (छकलिया रेशम पर साफ्ट धागे से हस्तनिॢमत) राखी बाजार में बिक्री को पहुंच चुकी हैं

कानपुर, जेएनएन Special Of Rakshabandhan : कोरोना के वार ने इस साल चीन को तगड़ा झटका दिया है, जबकि मुंबई और कोलकाता में निॢमत स्वदेशी राखियों की हर जगह धूम है। शहर में 10 करोड़ रुपये के राखी बाजार से कारोबारियों को अच्छी आय की आस है। कोरोना से पहले तक रक्षाबंधन के लिए राखी के आर्डर होली के बाद ही चीन भेजे जाते थे। 80 से 90 फीसद राखी बाजार पर उसका कब्जा था, लेकिन इस साल वहां से माल नहीं आया है।

लुभा रहीं राखियां : पिछले वर्ष कोरोना की वजह से चीन से राखी नहीं आई थीं, लेकिन दुकानदारों ने पुराना स्टाक निकालकर बेचा था। इस साल बाजार में चीन की राखियां नहीं हैं। मुंबई से स्टोन (धागे में आर्टीफिशियल नग पिरोकर बनाई गई) राखियां आई हैं। वहीं, कोलकाता से मारवाड़ी (छकलिया रेशम पर साफ्ट धागे से हस्त निर्मित) राखी बाजार में बिक्री को पहुंच चुकी हैं। कोलकाता की राखियों में विशेष रूप से लुंबे पसंद किए जा रहे हैं, जो महिलाएं हाथों में बांधती हैं। पहले राखियां चिपकाई जाती थीं। अब बीड, मोती की राखी हैं, जो धागे में पिरोई जाती हैं।

अमेरिकन डायमंड राखियां भी : बाजार में पैकिंग, धागे, अमेरिकन डायमंड (आर्टीफिशियल नग, जो ज्वैलरी में इस्तेमाल होता है) की राखियां भी हैं। थोक बाजार में पैकिंग की राखी दो रुपये से 150 रुपये प्रति पीस है। धागे में छह से 240 रुपये दर्जन तक हैं। अमेरिकन डायमंड की राखियां 50 से 300 रुपये प्रति पीस हैं। फुटकर बाजार में पैकिंग व धागे की राखी पांच रुपये और अमेरिकन डायमंड की राखियों की कीमत 100 रुपये से शुरू है।

10 करोड़ रुपये का कानपुर का कुल राखी कारोबार।  05 करोड़ रुपये की राखी कानपुर नगर में बिकतीं।  05 करोड़ रुपये की बिक्री कानपुर के आसपास के जिलों में होती।  80 फीसद बाजार पर पहले चीन का था कब्जा।  100 फीसद बाजार इस वर्ष स्वदेशी राखियों का।

इनका ये है कहना

15 वर्षों में पहला मौका है, जब बाजार में चीन का सामान बिल्कुल नहीं है। राखियों की मांग भी बहुत अच्छी है। - कल्याण ओमर, राखी विक्रेता


शहर और आसपास के जिलों से लगातार दुकानदार आ रहे हैं। मुंबई, कोलकाता की राखियां बहुत सुंदर हैं।                                                                                             - अभिनव अग्रवाल, राखी विक्रेता

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