एसपी एसआइटी ने टीम के साथ खंगाली असलहा फाइलें, जांच टीम में 48 पुलिस कर्मी रहेंगे शामिल, सप्ताह भर चलेगी जांच
असलहा लाइसेंस की फाइलें गायब होने की बात को गंभीरता से लेकर शनिवार को एसपी एसआईटी ने जांच शुरू कर दी। जांच टीम में करीब चार दर्जन पुलिस कर्मी शामिल रहेंगे और यह जांच करीब एक सप्ताह चलने की संभावना जताई जा रही है।
कानपुर, जेएनएन। असलहा लाइसेंस की 41 हजार फाइलों की जांच एसआइटी ने शनिवार को शुरू कर दी। 50 पुलिस कॢमयों के साथ एसपी एसआइटी खुद एक-एक फाइल को जांचते रहे। कई फाइलों में जांच के दौरान एसआइटी को खामियां मिली जिन्हेंं नाम व पते के साथ डायरी में दर्ज किया गया। देर शाम तक चली जांच में पहले दिन 500 फाइलों की जांच ही हो सकी। एसआइटी यह जांच तीन दिन में खत्म करना चाहती हैं लेकिन फाइलों की संख्या को देखते हुए जांच सप्ताह भर से उपर चलने की उम्मीद है।
बिकरू कांड के बाद असलहा फाइलों पर एसआइटी की नजर पड़ी तो 173 फाइलें गायब मिलीं। जिसके बाद गायब असलहा फाइलों की अब परत दर परत खुलना शुरू होगी। शनिवार को एसपी एसआईटी देवरंजन वर्मा के नेतृत्व में टीम ने एक-एक असलहा लाइसेंस फाइलों की जांच शुरू की। रिकार्ड से 20-20 के बंडलों में फाइलें मंगायी गईं। जो फाइलें गायब हैं , उन्हेंं सबसे पहले अलग कर विवरण नोट किया गया। सुबह 11 बजे शुरू हुई जांच शाम पांच बजे तक चली जिसमें 500 फाइलों को टीम ने देखा। जांच के दौरान एसआइटी को कई फाइलों में खामियां मिली हैं। इन सभी फाइलों को अलग रखवाया लिया गया है। इनकी एक बार फिर नए सिरे से जांच की जाएगी। सिटी मजिस्ट्रेट हिमांशु कुमार गुप्ता ने बताया कि एसआइटी ने जांच शुरू कर दी है। उन्हेंं असलहा लाइसेंस से जुड़ी सभी फाइलें दी जा रही हैं।
एक एक लाइसेंस की होगी जांच
जिले में 41 हजार असलहा लाइसेंस हैं। इन सभी लाइसेंस धारकों की जांच घर-घर जाकर होगी। इसके लिए प्रत्येक थाने में एक एसआइ को तैनात किया गया है। शासन की ओर से भेजे गए 26 ङ्क्षबदुओं के प्रपत्र पर वह पूरी जानकारी भरेंगे।
संदिग्ध फाइलों से जुड़े अफसरों के भी बयान लेगी एसआइटी, नाम मांगे
एसआइटी ने जिला प्रशासन से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के नाम मांगे हैं। साथ ही असलहा अनुभाग में पूर्व में तैनात रहे कर्मचारियों का भी विवरण मांगा है। जांच में जो भी फाइलें संदिग्ध मिलेंगी, एसआइटी उनसे जुड़े अफसरों के बयान लेगी। तत्कालीन जिलाधिकारी, डीआइजी, एसएसपी, सीओ, थाना प्रभारी और चौकी इंचार्ज, अपर जिलाधिकारी व लिपिक से बात कर एसआइटी यह जानने का प्रयास करेगी कि फाइल पर उनके हस्ताक्षर हैं अथवा नहीं। जिन फाइलों पर हस्ताक्षर हैं पर स्वीकृत अथवा अनुमोदित नहीं लिखा है, उस पर भी जांच होगी आखिर किन कारणों से इन फाइलों को स्वीकृत कर दिया गया। फाइल को स्वीकृत या अनुमोदित करने के बाद हस्ताक्षर के साथ पदनाम न लिखने की वजह भी जानी जाएगी। अपर जिलाधिकारियों ने किस हैसियत से बिना डीएम की अनुमति के असलहा लाइसेंस की फाइल क्यों स्वीकृत की, यह बताना होगा।
संदिग्ध फाइलों का भी हो गया नवीनीकरण
असलहा लाइसेंस का नवीनीकरण करते समय पूरी फाइल की पड़ताल की जाती है। लाइसेंस नवीनीकरण का कार्य लगातार होता रहा है लेकिन अब तक खामियां पकड़ में नहीं आयीं और संदिग्ध फाइलों का भी नवीनीकरण होता रहा। रिवाल्वर नवीनीकरण का कार्य एडीएम तो बंदूक का नवीनीकरण संबंधित एसडीएम, एसीएम द्वारा किया जाता है, लेकिन उन्होंने भी कभी फाइल जांचने की जहमत नहीं उठाई। लिपिक ने लाइसेंस की कापी सामने की और उस पर हस्ताक्षर कर दिया गया।