महज पांच से 15 मिनट के भीतर साफ्टवेयर बताएगा-आपका बच्चा आटिज्म पीड़ित है या नहीं

भारत में आटिज्म से 2017 में भारत में 10 लाख लोग प्रभावित थे। देश में हर 68 में से एक बच्चा प्रभावित। 20 फीसदी मामलों के लिए आनुवांशिक कारण जिम्मेदार। बच्चों के सामने खिलौने खाने-पीने की वस्तुएं और टेबल-कुर्सी रखकर उनकी गतिविधियां देखीं गईं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 13 Jan 2021 08:56 AM (IST) Updated:Wed, 13 Jan 2021 12:33 PM (IST)
महज पांच से 15 मिनट के भीतर साफ्टवेयर बताएगा-आपका बच्चा आटिज्म पीड़ित है या नहीं
80 फीसदी मामलों के लिए पर्यावरण वंशानुगत कारण जिम्मेदार।

शशांक शेखर भारद्वाज, कानपुर। आटिज्म की समस्या सामान्य तरीके से पता नहीं चलती है। इससे कई बार बच्चों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं। आइआइटी कानपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनिर्यंरग और ह्यूमैनिटी एंड सोशल साइंसेज विभाग के विशेषज्ञों ने ऐसा साफ्टवेयर विकसित किया है, जो इसमें अपलोड वीडियो की गुणवत्ता के आधार पर महज पांच से 15 मिनट के भीतर बता देगा कि बच्चे को आटिज्म है या नहीं। यह साफ्टवेयर र्आिटफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन र्लंिनग पर आधारित है। आटिज्म की समस्या से जूझ रहे और सामान्य बच्चों के परीक्षण के सकारात्मक परिणाम सामने आने के बाद अब एडवांस वर्जन के लिए कई बच्चों पर शोध चल रहा है। कोविड-19 के कारण सतर्कता से टेस्टिंग की जा रही है।

बच्चों की गतिविधियां की रिकॉर्ड: ह्यूमैनिटी एंड सोशल साइंसेज के विभागाध्यक्ष प्रो. ब्रजभूषण और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रो. केएस वेंकटेश के निर्देशन में शोधार्थी प्रिर्या ंसह ने दो, तीन और चार साल के बच्चों पर शोध किया। यह साफ्टवेयर कोर्ऑिडनेट जियोमेट्री (निर्देशांक ज्यामिति) के एक्स और वाई एक्सिस (अक्ष) के आधार पर काम करता है। इसमें बच्चों के कंधों को एक्स अक्ष और नाक, मुंह, गले से रीढ़ की हड्डी को वाई अक्ष माना। इसके बाद उन्होंने आटिज्म और सामान्य बच्चों की गतिविधियां देखीं। उनके चलने के अंदाज, हाथ-पैरों की हरकत, गर्दन मोड़ने के तरीके को रिकार्ड किया। 

साफ्टवेयर स्वयं लेगा निर्णय: साफ्टवेयर में वीडियो एक तरह से आटोमेटिक वायर फ्रेम के रूप में परिर्वितत हो जाएगा। उसको विभिन्न तरह की कोडिंग करके नीली, पीली, हरी और अन्य रंगों की लकीरों के रूप में साफ्टवेयर पढ़ेगा और स्वयं निर्णय लेकर अंतर बता देगा।

यह है आटिज्म : आटिज्म एक तरह की दिमागी बीमारी है, इसमें पीड़ित को अपनी बात कहने और समझने में कठिनाई होती है। छोटे बच्चे इसमें माता-पिता और घरवालों से आंखों का संपर्क नहीं करते हैं। वह अलग ही तरीके के खिलौनों से खेलते हैं। मसलन खिलौने की बैटरी या रिमोट, चम्मच, बेलन आदि उनके लिए खिलौना बन जाते हैं। उन्हें टीवी देखना, मोबाइल पर एकाग्र होना पसंद होता है। अक्सर माता या पिता की बातों को सुनकर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं।

घर पर ही कर सकते जांच, बना सकते आत्मनिर्भर: प्रो. ब्रजभूषण के मुताबिक यह मोटर एबिलिटी टेस्ट से एडवांस है। उसमें बच्चों के हाथ-पैर, गर्दन के मुड़ने की अवस्था को देखा जाता है। इसके लिए साइकोलाजी और न्यूरो के विशेषज्ञ जांच करते हैं। जबकि इस साफ्टवेयर में बच्चों के खेलने, व्यवहार करने, माता-पिता से संपर्क करने, बोलने आदि को भी रिकार्ड किया है। इसका मोबाइल एप भी लांच किया जाएगा। इसके बाद मातापिता घर पर ही मोबाइल पर जांच कर सकेंगे। इससे बड़ा फायदा ये होगा कि बच्चा पीड़ित मिला तो समय से प्रशिक्षित होने से वह आत्मनिर्भर हो सकेगा और उसकी जिंदगी आसान होगी।

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