.. तो इसलिए फिसड्डी साबित हुआ छावनी परिषद
स्वच्छता सर्वेक्षण में कानपुर छावनी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा।
जागरण संवाददाता, कानपुर: स्वच्छता सर्वेक्षण में कानपुर छावनी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। 61 छावनियों में कानपुर का स्थान 37 वें नंबर पर रहा। बुधवार को दैनिक जागरण ने इसके कारणों की पड़ताल की तो सामने आया कि छावनी में एक चौथाई मानक ही पूरे नहीं है।
स्वच्छ सर्वेक्षण में रैंकिंग तीन मानकों पर की गई। इसमें जन सुविधाओं और संसाधनों के मानक में कानपुर छावनी को 1400 में से केवल 339.38 नंबर ही मिले हैं। दरअसल सर्वे के दौरान जिन 44 बिंदुओं पर पड़ताल की गई थी। इनमें एक चौथाई मानक ही अधूरे हैं।
इन मानकों पर रहे फेल
- कूड़ा निस्तारण प्लांट लगा है, लेकिन क्रियाशील व मानकों के अनुरूप नहीं है।
- गोलाघाट, सत्तीचौरा, मैकूपुरवा, बदलीपुरवा, बादेपुरवा, कुरियन खपरेला जैसे दर्जन भर क्षेत्रों में आज भी सीवर लाइन नहीं हैं।
- गीला व सूखा कूड़ा फेंकने के लिए छह हजार जोड़ी डस्टबिन बांटे जा चुके हैं, जबकि छावनी में कुल मकानों की संख्या दस हजार है।
- डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन व्यवस्था पूरी तरह से लागू नहीं है। इस बार इसके लिए टेंडर किया जा रहा है।
- सभी क्षेत्रों में पेयजल की पर्याप्त सुविधा नहीं है।
- कर्मचारियों की उपस्थिति बायोमेट्रिक तरीके से दर्ज नहीं हो रही।
- स्कूलों में पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।
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खाली पड़े प्लाट को बना दिया कूड़ाघर
स्वच्छता सर्वेक्षण में संसाधनों के अलावा छावनी परिषद के निवासियों की नकारात्मक वोटिंग का खामियाजा उठाना पड़ा। इसके पीछे बड़ा कारण रहा सफाई कार्य में लापरवाही। उदाहरण है त्रिवेणी कालोनी के पीछे स्थित रेल बाजार ईदगाह के बगल में खाली पड़ा प्लाट है। छावनी परिषद ने इसे कूड़ाघर बना दिया है।
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जिन बिंदुओं में छावनी परिषद पिछड़ा है, इस बार उन्हें दुरुस्त कराया जाएगा। कूड़ा निस्तारण के लिए प्लांट बनाने के लिए सफाई ठेका कंपनी से करार होने वाला है। सीवर और पेयजल की दिशा में भी बेहतर काम होगा।
- हरेंद्र सिंह, सीईओ छावनी परिषद