सीएसए कृषि विश्वविद्यालय में वित्तीय अनियमितताओं की होगी एसआइटी जांच, जानिए- क्या है पूरा मामला
मंडलायुक्त ने अपर आयुक्त की जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन को संस्तुति भेज दी है। कृषि विज्ञान केंद्रों के समन्वयकों एवं विषय वस्तु विशेषज्ञों को गलत तरीके से वेतन निर्गत करने के मामले में जांच के लिए एसआइटी का गठन किया जा सकता है।
कानपुर, जेएनएन। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) में कृषि विज्ञान केंद्रों की समाप्ति के बाद गैर शिक्षण श्रेणी में नियुक्त समन्वयकों, विषय वस्तु विशेषज्ञों को नियम विरुद्ध वेतन देने समेत विभिन्न अनियमितताओं की जांच के लिए मंडलायुक्त डा. राजशेखर ने अपर मुख्य सचिव कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग को संस्तुति की है। शासन के आदेश पर जांच कर चुके अपर आयुक्त की रिपोर्ट भी भेजी है। रिपोर्ट में तमाम अनियमितताओं का जिक्र है।
पिछले साल सीएसए के अर्थ नियंत्रक ने शासन को पत्र भेजकर विश्वविद्यालय में हुई अनियमितताओं से अवगत कराया था। इसके बाद शासन ने मंडलायुक्त को जांच के आदेश दिए थे। मंडलायुक्त ने अपर आयुक्त प्रशासन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। जांच के दौरान तमाम अनियमितताएंं पकड़ में आईं। जांच अधिकारियों ने पाया कि कृषि विज्ञान केंद्रों की समाप्ति के उपरांत गैर शिक्षक श्रेणी में नियुक्त समन्वयकों, विषय- वस्तु विशेषज्ञों का समायोजन सहायक अध्यापक प्राध्यापक के पद पर करने की जो प्रक्रिया शुरू की गई थी, उसे विवि के निदेशक मंडल की आठ जनवरी 2020 को हुई बैठक में निरस्त कर दिया गया था।
बावजूद इसके समायोजित सहायक अध्यापकों और प्राध्यापकों को राज्य अनुदान से नान प्लान में नियमित नियुक्ति पद पर मानते हुए निरंतर वेतन दिया गया। इस वजह से राज्य अनुदान पर अनावश्यक रूप से वित्तीय भार बढ़ा। 2019 में कृषि विज्ञान केंद्रों के उन सभी कार्मिकों को जो विवि में तैनात थे, उन्हें केंद्रों पर वापस भेजने के अपर मुख्य सचिव, राज्यपाल सचिवालय के आदेश का पालन भी नहीं हुआ। जांच में पाया गया कि केंद्रों के कार्मिकों को भारत सरकार से अनुमन्य वेतनमान के स्थान पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से निर्धारित वेतनमान दिया गया, जो अनियमितता है।