वारदात के बाद कानपुर से पलायन कर गए थे परिवार, अब बयान लेने चेन्नई और दिल्ली जाएगी एसआइटी
सिख विरोधी दंगा प्रकरण में चकेरी जेके कॉलोनी और गोविंदनगर के दबौली में घटनाओं पर एसआइटी को पीड़ित परिवार का बयान दर्ज करना है। रिश्तेदारों से पूछताछ में वारदात के बाद पीड़ित परिवार पलायन करने की जानकारी दी है।
कानपुर, जेएनएन। सिख विरोधी दंगों के दौरान चकेरी की जेके कॉलोनी और गोविंदनगर के दबौली में हुई तीन हत्याओं के मामलों में पीडि़त स्वजन के बयान लेने को स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) चेन्नई और दिल्ली जाएगी। एसपी ने विवेचकों को मृतकों के परिवार की महिलाओं से घटना के बाबत जानकारी लेने के निर्देश दिए हैं।
जेके कॉलोनी में एक नवंबर 1984 की सुबह नरेंदर सिंह व उनके भाई सुरेंदर ङ्क्षसह की बेरहमी से ईंट पत्थर से कुचलकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद दंगाइयों ने घर में आग लगा दी थी। वारदात के बाद नरेंदर व सुरेंदर सिंह का परिवार पलायन कर गया था। नरेंदर की पत्नी मंजीत कौर दोनों बच्चों के साथ लंदन में रह रही हैं तो वहीं सुरेंदर की पत्नी हरविंदर कौर अपने बेटे व बेटी के साथ चेन्नई में रह रही हैं। अब हरविंदर कौर व उनके बच्चों के बयान लेने के लिए टीम चेन्नई जाएगी। इसी तरह गोविंदनगर थानाक्षेत्र के दबौली में जगजीत सिंह व उनके बेटे हरचरन सिंह की हत्या कर दी गई थी।
लेबर कॉलोनी निवासी उनकी पत्नी बलजीत कौर के बयान हो चुके हैं, लेकिन घटना के वक्त मौजूद रहीं जगजीत सिंह की बेटी परमजीत कौर के बयान अभी नहीं हो सके हैं। उनके बयान लेने के लिए टीम दिल्ली जाएगी। एसआइटी के एसपी बालेंदु भूषण ने बताया कि दोनों मुकदमों की जांच कर रहे विवेचकों को चेन्नई और दिल्ली भेजा जाएगा ताकि गवाहों के बयान पूरे हो सकें। इसके आधार पर जिन दंगाइयों के नाम सामने आएंगे, उनके भी नाम, पते का सत्यापन कराकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
फॉरेंसिक टीम ने जांच रिपोर्ट सौंपी
36 वर्षीय पूर्व सिख विरोधी दंगों के दौरान जिन घरों में हत्या व आगजनी हुई थी, उसमें से अब तक दो मामलों में ही फॉरेंसिक टीम को वैज्ञानिक सुबूत मिले हैं। शनिवार को टीम ने यह रिपोर्ट एसआइटी को सौंप दी। एसआइटी ने अब तक फॉरेंसिक टीम से करीब एक दर्जन घटनास्थलों का निरीक्षण कराया है। अधिकांश स्थानों पर टीम को नवनिर्माण मिला। कहीं आलीशान मकान बन चुका तो कहीं मार्केट। दो दिन पूर्व किदवईनगर के. ब्लॉक में पुरुषोत्तम ङ्क्षसह के भाई सरदूल व सेवादार गुरदयाल की हत्या मामले में घटनास्थल की जांच कराई गई तो फॉरेंसिक टीम को फर्श पर कई स्थानों पर खून के दाग मिले। एक कमरे की दीवारें व छत जली हुई मिलीं। उसमें कालिख भी थी। इसी तरह गोवदनगर के दबौली में भी एक परिवार के सदस्य की हत्या हुई थी। वहां भी 36 वर्ष पूर्व आगजनी होने के सुबूत मिले हैं।
फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक टीम के निरीक्षण में पता चला कि दोनों भवनों में आंशिक पुन: निर्माण किया गया है। किदवईनगर वाले मकान के मध्य कक्ष का फर्श पुराना है। पीछे का हिस्सा पूर्ववत स्थिति में मिला। भूतल के कक्ष के फर्श पर बेंजीडीन परीक्षण में कई स्थानों पर रक्त की मौजूदगी मिली, जबकि प्रथम तल पर पूर्वनिर्मित स्थान पर जलने के निशान (कालिख) तथा ऊबड़-खाबड़ फर्श के परीक्षण में रक्त के निशान मिले। दबौली में दरवाजे की चौखट जली हुई मिलीं। सीढिय़ों के नीचे भी आग लगाई गई थी। उसकी कालिख मौजूद है।