सिख विरोधी दंगे : 36 साल बाद फिर पुलिस कर रही तीन मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लगाने की तैयारी
कानपुर सिख विरोधी दंगे के बाद पुलिस ने 36 वर्ष पूर्व भी सुबूत व गवाह न मिलने के कारण 29 मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लगाई थी। इनमें से तीन मुकदमों में फिर कोर्ट में वादी और गवाहों ने बयान देकर दंगाइयों को पहचानने से इन्कार दिया है।
कानपुर, जेएनएन। सिख विरोधी दंगे के बाद शहर में दर्ज जिन 29 मुकदमों में 36 वर्ष पूर्व फाइनल रिपोर्ट लगी दी गई थी, उनमें से तीन मामलों में फिर फाइनल रिपोर्ट लगाने की तैयारी है। एसआइटी ने इन मामलों के वादी और गवाह तो ढूंढ़ निकाले हैं, मगर कोर्ट में उन्होंने किसी भी दंगाई को पहचानने की बात से इन्कार कर दिया है। ऐसे में तीनों ही मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगाने की अनुमति पुलिस महानिदेशक ने भी दे दी है। वर्ष 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान शहर में 127 सिखों की हत्या हुई थी। विभिन्न थानों में हत्या, लूट, डकैती के 40 मुकदमे दर्ज हुए थे, जिसमें 29 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगी थी। इन मुकदमों की जांच के लिए दो वर्ष पूर्व शासन ने एसआइटी (स्पेशल जांच टीम) का गठन किया था। एसआइटी ने 29 में से 20 मामलों की अग्रिम विवेचना शुरू की थी। अब तक 11 मामलों में पुख्ता सुबूत और गवाह जुटाकर चार्जशीट तैयार की जा रही है। तीन मामलों में वादी व गवाहों ने कोर्ट में बयान देकर किसी भी दंगाई को पहचानने की बात से इन्कार कर दिया।
ये हैं मामले
-रतनलाल नगर में एक नवंबर 1984 को सरदार हरबंश सिंह और उनके बेटे महेंद्र सिंह की हत्या की गई थी। घर में आगजनी व तोडफ़ोड़ करके डकैती डाली थी। हरबंश सिंह के बेटे गुरुविंदर सिंह ने नौबस्ता थाने में मुकदमा लिखाया था। एसआइटी ने गुरुविंदर सिंह व उनके परिवार को ढूंढ़ा और कोर्ट में बयान कराए, लेकिन उन्होंने दंगाइयों को पहचानने की बात से इन्कार कर दिया।
इसी तरह जनता नगर स्थित एक घर में बल्ब की फैक्ट्री चलाने वाले दर्शन सिंह की दंगाइयों ने हत्या कर डकैती डाली थी। बचाने आईं गृहस्वामिनी भगवती को भी हमला करके मार डाला था। मामले में दर्शन सिंह की पत्नी सबराई और भगवती के बेटे देवेंद्र ने नौबस्ता थाने में दो मुकदमे लिखवाए थे। भगवती के दामाद ने तो शपथपत्र देकर दर्शन सिंह के परिवार पर ही आरोप लगाए थे, लेकिन जांच में कोई सुबूत नहीं मिला था। एसआइटी ने दोनों पीडि़त परिवारों को ढूंढा, मगर कोर्ट में उन्होंने दंगाइयों को पहचानने की बात से इन्कार कर दिया।
-एसआइटी ने काफी मेहनत करके तीनों मामलों में वादी, गवाहों को ढूंढा। उनके कोर्ट में बयान कराए गए तो उन्होंने कहा कि जब हमला हुआ तो आसपास के लोगों ने उन्हेंं बचाया था। दंगाइयों की भीड़ में कौन शामिल था, वे देख नहीं पाए। रंगनाथ मिश्र आयोग से भी इन हत्याकांडों के आरोपितों के बाबत कोई सुबूत नहीं मिला। फाइनल रिपोर्ट तैयार ली गई है और जल्द इसे कोर्ट में दाखिल करेंगे। -बालेंदु भूषण, एसपी एसआइटी