सिख विरोधी दंगे की जांच के लिए एसआइटी का कार्यकाल बढ़ा, कानपुर में अबतक 18 मामलों में मिले सुबूत
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कानपुर में हुए सिख विरोधी दंगे शुरू होने पर करीब 127 लोगों की जान चली गई थी और संपत्ति भी नष्ट कर दी गई थी। मामलों की जांच के लिए शासन की ओर से एसआइटी का गठन किया गया था।
कानपुर, जेएनएन। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान दर्ज मुकदमों की जांच के लिए गठित एसआइटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) का कार्यकाल छह माह और बढ़ा दिया गया है। अब टीम 27 मई 2021 तक मुकदमों का निस्तारण करेगी। सिख विरोधी दंगों के दौरान कानपुर जिले में करीब 127 लोगों की हत्या हुई थी और करोड़ों रुपये की संपत्ति नष्ट कर दी गई थी।
पिछले वर्ष फरवरी में शासन की ओर से दंगों के दौरान हत्या, लूट, डकैती जैसे गंभीर प्रकृति के अपराधों की विवेचना के लिए एसआइटी का गठन किया गया था। इसके बाद रिटायर्ड डीजी अतुल कुमार की अध्यक्षता में विधिवत रूप से 27 मई 2019 को एसआइटी ने कार्य शुरू किया। जरूरत महसूस होने पर इसे थाने का दर्जा भी प्रदान किया गया। मई 2020 में एक वर्ष की समयसीमा खत्म होती देख अधिकारियों ने कार्यकाल बढ़ाने की मांग की, तब शासन ने छह माह का कार्यकाल बढ़ाया था।
शुक्रवार को यह समयावधि भी पूरी हो गई। इससे पूर्व अधिकारियों ने कार्यकाल बढ़ाने की दोबारा मांग की। इस पर शासन ने छह माह का अतिरिक्त समय दिया है। एसपी बालेंदु भूषण ने बताया कि एसआइटी का कार्यकाल अब 27 मई 2021 तक हो गया है। इस दौरान मुकदमों की विवेचना व कार्रवाई पूरी करके रिपोर्ट शासन को सौंपी जानी है।
18 मुकदमों में से छह में हो चुके गवाहों के बयान
एसपी ने बताया कि दंगों के दौरान गंभीर प्रकृति के अपराधों के 39 मुकदमे दर्ज हुए थे। इसमें से 11 में आरोपपत्र दाखिल हुआ था और बाकी में फाइनल रिपोर्ट लगी थी। एसआइटी ने फाइनल रिपोर्ट वाले मुकदमों में जांच शुरू की तो अब तक 18 मामलों में सुबूत मिल चुके हैं। इसके आधार पर इन मामलों की अग्रिम विवेचना शुरू की गई है। करीब छह मामलों में गवाहों के बयान भी कराए जा चुके हैं। इस आधार पर 33 आरोपितों के नाम सामने आए हैं। इनकी गिरफ्तारी के लिए कोर्ट से अनुमति ली जाएगी।