IAS Iftikharuddin Case: धार्मिक कट्टरता के अहम सुबूत मिले, वीडियो क्लिप की संख्या 50 से हुई 77

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) के चेयरमैन और कानपुर में मंडलायुक्त रहे आइएएस मो.इफ्तिखारुद्दीन के खिलाफ जांच कर रही एसआइटी को नौ और धार्मिक कट्टरता वाले वीडियो मिले हैं। अब विधिक राय लेने की तैयारी की जा रही है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 03 Oct 2021 07:54 AM (IST) Updated:Sun, 03 Oct 2021 07:54 AM (IST)
IAS Iftikharuddin Case: धार्मिक कट्टरता के अहम सुबूत मिले, वीडियो क्लिप की संख्या 50 से हुई 77
एसआइटी को वीडियो में अहम सुबूत मिले हैं।

कानपुर, जेएनएन। वरिष्ठ आइएएस अधिकारी और उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) के चेयरमैन मो.इफ्तिखारुद्दीन के वायरल वीडियो की संख्या 50 से बढ़कर 77 हो गई है। खास बात यह है कि स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) अब तक इनमें से 67 वीडियो को लिपिबद्ध (लिखित) कर चुका है, जिसमें से नौ ऐसे वीडियो मिले हैं, जिसमें धार्मिक कट्टरता के सबूत मिले हैं। ऐसे में एसआइटी अब विधिक राय लेने पर विचार कर रही है कि वरिष्ठ आइएएस के खिलाफ क्या आरोप बनेंगे।

मो. इफ्तिखारुद्दीन कानपुर के मंडलायुक्त भी रहे हैं और जो वीडियो वायरल हो रहे हैं, वह मंडलायुक्त आवास के बताए जा रहे हैं। महानिदेशक सीबीसीआइडी बीएल मीणा और एडीजी जोन भानु भाष्कर की एसआइटी मामले की जांच कर रही है। शुक्रवार को बताया गया था कि 50 से ज्यादा वीडियो अब तक मिल चुके हैं लेकिन एक ही दिन में इनकी संख्या बढ़कर 77 पहुंच गई। अधिकारियों के मुताबिक वीडियो की संख्या अभी और बढ़ेगी। इन वीडियो में पूर्व मंडलायुक्त मुस्लिम धर्म को अन्य धर्मों की तुलना में सबसे बेहतर बता रहे हैं। एक अधिकारी के मुताबिक पूर्व मंडलायुक्त के खिलाफ यह वीडियो पर्याप्त सबूत हैं, लेकिन आरोप और अपराध तय करने से पहले इस प्रकरण में विधिक राय भी जाएगी।

अब तक किसी के नहीं हुए बयान : मो.इफ्तिखारुद्दीन कानपुर में कई विभागों में काम कर चुके हैं। इस मामले में एसआइटी सोमवार से विभिन्न विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों से बयान ले सकती है।

कर्मचारियों पर किताब बांटने का बनाया था दबाव : पूर्व मंडलायुक्त ने शुद्ध उपासना तथा नमन और शुद्ध भक्ति नाम से दो किताबें प्रकाशित कराई थीं। दोनों ही किताबों में इस्लाम धर्म अपनाने के फायदे बताए गए हैं। बताया जा रहा है कि इन किताबों के वितरण का दबाव भी उन्होंने कर्मचारियों पर बनाया था। एक कर्मचारी के मुताबिक एक दिन उसे भी किताबें दी गई थी। बातचीत के दौरान उसने गंगा नदी को गंगा जी कह दिया तो पूर्व कमिश्नर ने भगा दिया था।

सरकारी खर्चे पर कराया धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार : पूर्व मंडलायुक्त मो. इफ्तिखारुद्दीन पर धाॢमक कट्टरता फैलाने के आरोपों से इतर अब आॢथक अपराध के आरोप लगने भी शुरू हो गए हैं। अखिल भारतीय मठ मन्दिर समन्वय समिति के संयोजक व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भूपेश अवस्थी ने ही इस मामले को सबसे पहले उठाया था। अब उनका आरोप है कि एक कर्मचारी से पता चला है कि पूर्व मंडलायुक्त ने अपने कार्यकाल में मुस्लिम धर्म से जुड़े धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण सरकारी पैसों से कराया। इसके लिए वह कानपुर विकास प्राधिकरण और नगर निगम के अधिकारियों पर दबाव डालते थे। उन्होंने एसआइटी से इसकी भी जांच कराने की मांग की किउनके आदेश पर किन-किन धार्मिक स्थलों में सरकारी खर्चों पर काम हुआ।

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