सड़कों और चौराहों पर पसरा रहा सन्नाटा

जागरण संवाददाता कानपुर रविवार को संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान सुबह से ही पूरे शहर म

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 02:06 AM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 02:06 AM (IST)
सड़कों और चौराहों पर पसरा रहा सन्नाटा
सड़कों और चौराहों पर पसरा रहा सन्नाटा

जागरण संवाददाता, कानपुर : रविवार को संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान सुबह से ही पूरे शहर में सन्नाटा पसरा रहा। सड़कें पूरी तरह सूनी रहीं। कोरोना के संक्रमण को देखते हुए लोग खुद ही घरों में रहे। जिन्हें बहुत जरूरत थी, वे ही निकले। घंटाघर हो या बड़ा चौराहा सभी जगह सन्नाटा छाया रहा। बड़ा चौराहा पर पुलिस ने निकल रहे लोगों से पूछताछ की। उधर मेट्रो का कार्य भी बंद रहा। निर्माण स्थलों पर कर्मचारी नजर नहीं आए।

शनिवार रात आठ बजे से सोमवार सुबह सात बजे तक हुए लॉकडाउन के दौरान रविवार को छुट्टी के बाद भी लोग अपने घरों में रहे। शहर के सबसे प्रमुख चौराहे घंटाघर पर कुछ दोपहिया वाहन ही बीच बीच में गुजरते दिखे। हालांकि ट्रेनों से आए यात्री अपने घर जाने के लिए परेशान दिखे। यही हालत उनकी भी थी, जिनका ट्रेनों में आरक्षण था और उन्हें स्टेशन जाना था। बस स्टेशन पर भी यात्रियों की संख्या न के बराबर थी। जो चौराहे रोज अतिक्रमण के कब्जे में रहते थे, वे पूरी तरह खाली नजर आए। टेंपो, आटो, ई-रिक्शा न चलने से चौराहों पर भी सन्नाटा था। बहुत से लोगों ने पैदल ही लंबी दूरी तय की। पुलिस ने कई लोगों को वापस उसी रास्ते पर लौटाया, जिससे वे आए थे। जीटी रोड, हमीरपुर रोड, कालपी रोड पर भी सन्नाटा था और वाहन नजर नहीं आ रहे थे। जैसे-जैसे दिन चढ़ा, सड़कों पर सन्नाटा और ज्यादा बढ़ गया।

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ग्रामीण क्षेत्रों में भी नहीं निकले लोग

लॉकडाउन में सरसौल, महाराजपुर, नर्वल, बिल्हौर, घाटमपुर में भी लोग घरों से बाहर नहीं निकले। हाईवे किनारे से लेकर गांव की गलियों तक सन्नाटा था। नवरात्र व रमजान की वजह से गुलजार रहने वाले बाजार भी पूरी तरह बंद थे। इस दौरान रूमा, महाराजपुर, सरसौल क्षेत्रों में पुलिस ने लोगों को जागरूक भी किया। बिठूर के मंधना चौराहे पर हर समय जाम रहता है, लेकिन रविवार को चौराहे पर वाहन तक नजर नहीं आ रहे थे। जीटी रोड पर चलने वाले भारी वाहन नहीं दिखे। वहीं गांव के अंदर की दुकानें बंद रहीं।

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सुबह-सुबह फसल काटने निकल गए

ग्रामीण क्षेत्रों में किसान सुबह-सुबह खेत में फसल काटने के लिए निकल गए। गंगा की रेती में सब्जियां उगाने वालों को अपनी फसल में सिचाई भी करनी थी, इसलिए वे भी सुबह-सुबह निकल गए।

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