लोगों पर हावी हो रही तनाव और चिंता, विकसित हो रहे चिल्लाने, चीखने और आपा खोने के लक्षण
योगाचार्य रवींद्र पोरवाल बताते हैं कि इन परिस्थितियों से खुश रहकर बचा जा सकता है। बस हमे एक दूसरे के प्रति प्यार और समर्पण की भावना जागृत करनी होगी। ध्यान योग और व्यायाम लोगों के लिए मददगार बन रहे हैं।
कानपुर, जेएनएन। इस समय जहां देखों कोरोना, कोविड, अस्पताल, ऑक्सीजन और रेमडेसिमिर के अतिरिक्त कुछ और बात नहीं हो रही है। उस पर टीवी, इंटरनेट मीडिया और लोगों की चर्चा में भी बीमारी और मौत के तांडव के सिवाय दूसरी बात नहीं होती। पिछले कई दिनों से यह परिस्थितियां बरकरार हैं। ऐसे में लोगों पर बीमारी का तनाव, जीवन और रोजी रोटी की चिंता हावी हो रही है। परिवार के बीच इसका असर भी देखने को मिल रहा है।
देश में कोविड संक्रमितों का 3.50 लाख से ज्यादा का आंकड़ा और हर दिन हो रहीं हजारों मौतों की खबर से आम शहरी अनजान नहीं है। इंटरनेट मीडिया हो या टीवी अथवा मोबाइल पर एक दूसरे से होने वाली बातें, सब कोविड से शुरू होती हैं और कोविड पर खत्म हो रही हैं। ऐसे में आम शहरियों में जीवन को लेकर तनाव और चिंता तेजी से बढ़ती जा रही है। इसका असर घरों में भी दिख रहा है।
छोटी-छोटी सी बातों पर चिल्लाना, चीखना और जल्द आपा खो देना जैसे लक्षण विकसित हो रहे हैं। जरा सी बात विवाद के शीर्ष तक पहुंच रही है। यह कोई एक घर की कहानी नहीं बल्कि आज दस में छह घर इन्हीं परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। योगाचार्य रवींद्र पोरवाल बताते हैं कि इन परिस्थितियों से खुश रहकर बचा जा सकता है। बस हमे एक दूसरे के प्रति प्यार और समर्पण की भावना जागृत करनी होगी। ध्यान, योग और व्यायाम लोगों के लिए मददगार बन रहे हैं। इसके साथ ही परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ भोजन करने, मिलकर घर का काम करने, अंताक्षरी और सामूहिक इनडोर गेम खेलने से ऐसी परिस्थितियों से बचा जा सकता है।