कानपुर के शहरकाजी मौलाना रियाज अहमद हशमती का इंतकाल, लंबे समय से थे अस्वस्थ

मुफ्ती यूनुस रजा को बनाया था नायब शहरकाजी। शहरकाजी मौलाना रियाज अहमद हशमती के इंतकाल की खबर पर हर तरफ दुख की लहर दौड़ गई। उनके इंतकाल की खबर सुनकर बाबूपुरवा स्थित उनके घर पर सुबह से शाम तक लोगों के पहुंचने का तांता लगा रहा।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 05:32 PM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 05:32 PM (IST)
कानपुर के शहरकाजी मौलाना रियाज अहमद हशमती का इंतकाल, लंबे समय से थे अस्वस्थ
बाबूपुरवा मस्जिद के शहरकाजी मौलाना रियाज अहमद हशमती।

कानपुर, जेएनएन। शहरकाजी मौलाना रियाज अहमद हशमती का मंगलवार सुबह तड़के इंतकाल हो गया। वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्होंने सुबह 3.14 बजे नई मस्जिद बाबूपुरवा में आखिरी सांस ली। उनकी नमाज ए जनाजा रात को इशाा की नमाज के बाद बगाही कब्रिस्तान में होगी, वहीं उनको सिपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। मरहूम शहरकाजी 84 वर्ष के थे। वे अपने पीछे छह बेटियां व एक बेटे को छोड़ गए  हैं।

कानपुर में शाेक की लहर 

शहरकाजी मौलाना रियाज अहमद  हशमती के इंतकाल की खबर पर हर तरफ दुख की लहर दौड़ गई। उनके इंतकाल की खबर सुनकर बाबूपुरवा स्थित उनके घर पर सुबह से शाम तक लोगों के पहुंचने का तांता लगा रहा। शहरकाजी मौलाना रियाज अहमद हशमती नई मस्जिद में बने अपने हुजरे (कमरे) में ही रहा करते थे। सूफी लाल मोहम्मद ने बताया कि रात उन्होंने इशा की नमाज अदा की। खाना खाने के बाद आराम करने लगे। रात दो बजे उनकी तबीयत खराब हुई और 3.14 बजे उनका इंतकाल हो गया। 

भाई ने बताईं जीवनकाल से जुड़ी बातें 

शहरकाजी के भाई डाॅ .हबीब अहमद ने बताया कि उनका जन्म सन् 1937 में कौशांबी के मौजा पहाड़पुर में  हुआ था। चार भाई और दो बहनों में वे सबसे बड़े थे। उन्होंने बरेली शरीफ में दीनी तालीम हासिल की। तालीम पूरी होने के बाद वे उज्जैन चले गए और वहां नगादा मस्जिद में इमाम हो गए। उनके वालिद मोहम्मद याकूब कानपुर में स्वदेशी काटन मिल में काम करते थे। वे भी कानपुर आ गए और नई मस्जिद बाबूपुरवा में इमामत करने लगे। यहीं मदरसा अल जामियतुल रजविया मनाजुर उलूम में बच्चों को तालीम भी देते थे। उन्होंने मदरसे के  साथ स्कूल की भी शुरुआत की। वे सन् 2007 में शहरकाजी बने। उनके शहरकाजी बनने की तस्दीक काजी उल कुज़्ज़ात (चीफ काजी) हजरत अल्लामा अख्तर रजां खां ने की। बीमारी के चलते हाल ही में उन्होंने मुफ्ती यूनुस रजा उवैसी को नायब शहरकाजी बनाया था। मौलाना रियाज अहमद हशमती के इंतकाल पर शहरकाजी मुफ्ती साकिब अदीब, शहरकाजी मौलाना मुशाहिदी, मौलाना तहसीन रजा कादरी, नायब शहरकाजी मुफ्ती यूनुस रजा उवैस  सहित बड़ी तादाद में उलमा, सामाजिक कार्यकर्ता उनके घर पहुंचे। 

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