Kanpur Shaernama Column: माननीय ने लिया संगठन से पंगा, बिखरा राजा साहब का ख्वाब

कानपुर शहर में राजनीतिक गलियारों में खास चर्चा में रहने वाले वाक्यों को सप्ताह में शहरनामा कॉलम लेकर आता है। इस बार नगर निगम के एक पार्षद की गतिविधियां चर्चा बन गई हैं तो एक माननीय अपने संगठन से पंगा ले बैठे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 14 Feb 2021 11:57 AM (IST) Updated:Sun, 14 Feb 2021 11:57 AM (IST)
Kanpur Shaernama Column: माननीय ने लिया संगठन से पंगा, बिखरा राजा साहब का ख्वाब
कानपुर की राजनीतिक हलचल है शहरनामा कॉलम।

कानपुर, [राजीव द्विवेदी]। कानपुर शहर राजनीतिक हलचल का गढ़ है। इतना ही नहीं बड़े-बड़े नेताओं के कुछ वाक्ये राजनीतिक गलियारों में चर्चा बने रहते हैं। शहरनामा कॉलम सप्ताह में ऐसे ही वाक्यों को लोगों तक पहुंचाता है। इस बार मीडियाजीवी पार्षद चर्चा में रहे तो राजा साहब का ख्वाब भी बिखर गया है। आइए, जानते हैं शहरनामा में इस बार क्या खास है...।

ये मीडियाजीवी पार्षद हैं

नगर निगम सदन हो या फिर कोई खास आयोजन मीडिया का अटेंशन अपनी ओर करने के लिए कुछ खास पार्षद हमेशा ही एक्टिव रहते है। हाल में ही नगर विकास मंत्री के कार्यक्रम में मीडिया का फोकस अपनी ओर करने के लिए टोपी वाले भइया के साथ हर कार्यकारिणी चुनाव में पेंच फंसाने वाले महोदय और जिनको कभी हेलमेट की जरूरत नहीं, वह फर्श पर पसर गए, कैमरों के फ्रेम में आने को एक दो और भी उनके साथ जमीन पर बैठ गए।

उनकी शिकायत थी कि पार्षदों के लिए स्थान आरक्षित क्यों नहीं हैं। कुछ देर आदतन हंगामा करने के बाद पता चला कि मंत्री जी पहुंचने वाले हैं, सभी आगे पड़े सोफों पर जम गए। फोटो जर्नलिस्ट ने मंशा समझकर मुस्कराते हुए कुछ देर पहले हुए हंगामा की तस्वीरें डिलीट कर दीं। दूसरे दिन अखबारों में भाव न मिलने पर चकल्लसबाज पार्षदों की मौज लेने से नहीं चूके।

बिखरा राजा साहब का ख्वाब

योगी सरकार में ओहदेदार के खास जिला पंचायत सदस्य इस बार अध्यक्ष बनने का ख्वाब संजोए थे। जिला पंचायत की बैठकों में खुद को सदस्यों का नेता दर्शाने का कोई मौका नहीं छोडऩे के साथ ही हर मुद्दे पर वे अपनी बात भी मजबूती से रखते थे। राजा साहब के नाम से ख्याति पाए नेता जी को मजाक में ही सही खुद को जिला पंचायत अध्यक्ष कहलवाना अच्छा लगने लगा था।

साथी सदस्य तो उन्हें अध्यक्ष जी ही कहकर पुकारते भी थे। उन्हें उम्मीद थी कि कई वर्षों बाद इस बार अध्यक्ष पद सामान्य होगा और उनकी साध भी पूरी होगी। भाजपा के पदाधिकारियों, विधायकों और पार्टी के मातृ संगठन के बीच उनकी पैठ भी अच्छी बन गई थी। अब अध्यक्ष का पद आरक्षित होने से उनके ख्वाब बिखरने पर उन्होंने जिनकी धड़कने बढ़ा रखी थीं, वह प्रफुल्लित हैं। हालांकि, आगे सत्ता की मौज के उनके अरमान भी धुल गए।

माननीय का संगठन से पंगा

लाल टोपी वालों के दल में आजकल माननीय और संगठन में तगड़ी पंगेबाजी चल रही है। गंभीर मसलों पर आंदोलन छेडऩे के बाद अचानक चुप्पा मार जाने वाले माननीय की मंशा पर उनके ही दल वाले भले सवाल खड़े कर रहे हों, लेकिन उन पर उसका कोई असर नहीं पड़ता है। आजकल बे-छत हुए लोगों को बिसरा कर वह किसानों की फिक्र के साथ दल के मुखिया की सिरदर्दी बढ़ाने की मुहिम पर लगे हैं।

मुखिया द्वारा कोई कार्यक्रम रखे जाने पर माननीय के खास उसको फेल करने के जतन में लग जाते हैं। उनकी मंशा समझते तो सभी हैं पर जवाब देने की हिम्मत जुटाई सिर्फ एक ठाकुर साहब ने। बिठूर में भइया के नहीं आ पाने पर माननीय ने लाल टोपी वालों को भरोसा दिया था कि वह जल्दी आएंगे। वो अब तक नहीं आए पर उन तक माननीय की दल विरोधी शिकायतें जरूर पहुंचने की चर्चा है।

महंगे हुए पक्षी के शिकारी

नगर निगम के कुछ खास अफसरों और बाबुओं की पड़ोसी जिले के पक्षी विहार में दावतों की चर्चा के बीच अब नया अपडेट आया है। दरअसल, अब चर्चा पक्षी का शिकार महंगा होने की है। सेवा मिलने के एवज में मेवा लुटाने वाले मेजबान को ताजे-ताजे अफसरी पाने वाले साहब महंगे पड़ रहे हैं। उनके द्वारा महंगी मेवा पसंद किए जाने से मेजबान को दावत के खर्च में ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ रही है।

ऊपर से साहब को दावत उड़ाने का भी खूब शौक है। दोहरी मार से मेजबान की हालत पस्त है पर वह साहब को नाखुश भी नहीं कर सकता, क्योंकि कान्हा के दो-दो धाम वाला इलाका उनके पास होने से वहां विकास की मलाई भी खूब रहती है। ऐसे में महंगाई की मार पडऩे के बाद भी मेजबान साहब को खुश करने के मौके नहीं छोड़ता। हालांकि, सेवा न मिल पाने वाले मौज जरूर लेते हैं।

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