महोबा में दुष्कर्म मामले में अभियुक्त को सात वर्ष का कारावास, जुर्माना न देने पर सजा की इतनी अवधि बढ़ेगी
वादी ने उसे ललकारा तो उमेश ने उसे तमंचा अड़ा दिया। इसके बाद उसकी 16 वर्षीय बहन को जबरदस्ती पकड़ लिया और बाहर खींचकर ले जाने लगा। विरोध किया तो वह तमंचा लहराकर उसकी बहन को अपने ग्राम भटेवर ले गया और रात में घर पर रखकर गलत काम किया।
कानपुर, जेएनएन। बालिका को जबरन उसके घर से अपने ग्राम स्थित मकान में ले जाकर दुष्कर्म करने के मामले में न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश, पाक्सो अधिनियम ने अभियुक्त को सात वर्ष के कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई है। अर्थदंड की अदायगी न करने पर दो माह अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
विशेष लोक अभियोजक पुष्पेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि घटना सदर कोतवाली क्षेत्र के एक ग्राम की है। 21 दिसंबर 2016 की रात्रि साढ़े आठ बजे वादी अपने परिवार के साथ खाना खाकर सोने जा रहा था। तभी वह अपने कमरे के अंदर गया और देखा तो उमेश सिंह पुत्र प्रीतम सिंह निवासी ग्राम भटेवर उसके घर के अंदर छिपा बैठा था। वादी ने उसे ललकारा तो उमेश ने उसे तमंचा अड़ा दिया। इसके बाद उसकी 16 वर्षीय बहन को जबरदस्ती पकड़ लिया और बाहर खींचकर ले जाने लगा। विरोध किया तो वह तमंचा लहराकर उसकी बहन को अपने ग्राम भटेवर ले गया और रात में अपने घर पर रखकर गलत काम किया। सुबह वह उसे रामलीला मैदान में छोड़कर भाग निकला। उमेश के चाचा और भैया ने उसके गांव फोन किया कि बहन को ले जाओ। बहन ने खुद के साथ उमेश द्वारा दुष्कर्म करने की बात बताई। इसके बाद मुकदमा दर्ज किया गया और 12 अप्रैल 2017 को अभियुक्त उमेश सिंह के विरुद्ध दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं में न्यायालय द्वारा आरोप पत्र विचरित किया गया। मामले की सुनवाई के बाद अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश, पाक्सो अधिनियम संतोष कुमार यादव ने अपना फैसला सुनाया। विशेष लोक अभियोजक पुष्पेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि अभियुक्त उमेश सिंह को सात वर्ष के कारावास व 20 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। अर्थदंड की अदायगी न होने पर दो माह का अतिरिक्त कारावास