कानपुर में Oxygen की Shortage को देखते हुए Covid Hospital के डॉक्टरों ने किया ऐसा काम, जिससे मरीजों को मिल रहा नया जीवन

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट के कोविड हॉस्पिटल के डॉक्टर भी प्राण वायु यानी ऑक्सीजन को बचाने के लिए हर जतन कर रहे हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट के कोविड हॉस्पिटल में 360 बेड हैं। इनमें ऑक्सीजन के सामान्य बेड एचडीयू और कोविड आइसीयू के वेंटिलेटर बेड हैं

By Akash DwivediEdited By: Publish:Fri, 30 Apr 2021 09:19 AM (IST) Updated:Fri, 30 Apr 2021 09:19 AM (IST)
कानपुर में Oxygen की Shortage को देखते हुए Covid Hospital के डॉक्टरों ने किया ऐसा काम, जिससे मरीजों को मिल रहा नया जीवन
मरीजों की सेवा करते हुए डॉक्टरोंं का फाइल फोटो

कानपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस का संक्रमण कहर बरपा रहा है। तेजी से नए संक्रमितों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ रही है। मौतों का आंकड़ा भी रफ्तार पकड़ चुका है। इस विषम स्थिति में न अस्पतालों में बेड मिल रहे हैं और न ही पूरी दवाइयां उपलब्ध हैं। ऊपर से ऑक्सीजन की किल्लत जग जाहिर है। इसे दूर करने के लिए राज्य सरकार एड़ी-चोटी एक किए है, लेकिन मरीजों की संख्या के आगे यह कवायद नाकाफी साबित हो रही है। स्थानीय स्तर पर अधिकारी भी लगातार प्रयासरत हैं।

इसके इधर, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट के कोविड हॉस्पिटल के डॉक्टर भी प्राण वायु यानी ऑक्सीजन को बचाने के लिए हर जतन कर रहे हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट के कोविड हॉस्पिटल में 360 बेड हैं। इनमें ऑक्सीजन के सामान्य बेड, एचडीयू (हाई डिपेंडेंसी यूनिट) और कोविड आइसीयू के वेंटिलेटर बेड हैं। जहां गंभीर कोरोना संक्रमित मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। कोविड हॉस्पिटल में संक्रमितों का इलाज कर रहे डॉक्टर बताते हैं कि इस समय लो ऑक्सीजन सैचुरेशन (एसपीओटू) यानी कम ऑक्सीजन लेवल के साथ मरीज भर्ती हो रहे हैं। उनका एसपीओटू 90 से लेकर 75 फीसद तक रह रहा है। ऐसी स्थिति में उनके शरीर का ऑक्सीजन सैचुरेशन बनाए रखने के लिए अत्याधिक ऑक्सीजन की मात्रा देनी पड़ती है।

शरीर का मेंटेन कर रहे ऑक्सीजन लेवल : कोविड हॉस्पिटल के डॉक्टर ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए गंभीर कोरोना संक्रमितों के शरीर का ऑक्सीजन लेवल 95-96 एसपीओटू मेंटेन कर रहे हैं। ताकि ऑक्सीजन उनके शरीर के सभी अंगों तक पहुंच सके। उनके शरीर को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचने पाए।

ऐसे पड़ रही ऑक्सीजन की जरूरत : कोरोना संक्रमितों की स्थिति के हिसाब से ऑक्सीजन देनी पड़ती है। वैसे संक्रमित जिनका ऑक्सीजन सैचुरेशन 90-92 फीसद रहता है। उन्हेंं नेजल प्रांग से ही ऑक्सीजन देकर काम चलाया जाता है। अगर संक्रमित का ऑक्सीजन लेवल लगातार गिरते हुए 80 से 70 तक पहुंचने लगता है। ऐसी स्थिति में संक्रमितों का ऑक्सीजन सैचुरेशन मेंटेन रखने के लिए हाई फ्लो नेजल कैनुला, बाई पैप और वेंटिलेटर से हाई प्रेशर में ऑक्सीजन देनी पड़ती है।

बदली स्थिति में बरत रहे एहतियात : ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए संक्रमितों को ऑक्सीजन देने में एहतियात बरत रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि 2 से लेकर 4-5 लीटर प्रति मिनट तक ऑक्सीजन का प्रेशर कम कर दिया गया है। संक्रमितों के शरीर के ऑक्सीजन का लेवल 100 फीसद की जगह, 95-96 फीसद तक रखा जा रहा है। इस स्थिति में शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचती रहती है।

ऐसे देते हैं ऑक्सीजन

01-5 लीटर/मिनट ऑक्सीजन : नेजल प्रांग से (30-35 तक फीसद मिलती ऑक्सीजन) 04-10 लीटर/मिनट ऑक्सीजन : फेस मास्क से (30-45 फीसद तक मिलती ऑक्सीजन) 10-15 लीटर/मिनट ऑक्सीजन : नॉन रीब्रीथिंग बैग मास्क (50-80 फीसद तक मिलती ऑक्सीजन) 10-60 लीटर/मिनट ऑक्सीजन : हाई फ्लो नेजल कैनुला (21-100 फीसद तक मिलती ऑक्सीजन) 20-60 लीटर/मिनट ऑक्सीजन : बाई पैप (21-100 फीसद तक मिलती ऑक्सीजन) 20-60 लीटर/मिनट ऑक्सीजन : वेंटिलेटर (21-100 फीसद तक मिलती ऑक्सीजन)

सामान्य स्थिति में शरीर का ऑक्सीजन लेवल

96-100 एसपीओटू

इनका ये है कहना सामान्य संक्रमितों को नेजल प्रांग और फेस मास्क से ऑक्सीजन दी जाती है। उनका प्रेशर भी कम किया गया है, ताकि ऑक्सीजन बर्बाद न हो। इसके अलावा हाई फ्लो नेजल कैनुला, बाई पैप और वेंटिलेटर की भी सेटिंग बदली गई है, जिससे संक्रमित को ऑक्सीजन इतने प्रेशर से जाए कि शरीर का ऑक्सीजन लेवल 95-96 फीसद बना रहे।

                                               डॉ. चंद्रशेखर सिंह, नोडल अफसर, कोविड आइसीयू, हैलट अस्पताल।  

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