बारिश देख गुपचुप साहब ने बदल दिया खेल का मैदान Kanpur News
ग्रीनपार्क व कमला क्लब में खेले जाने वाले मैचों को लेकर अंदरखाने की हकीकत।
कानपुर, जेएनएन। खेल का प्रमुख स्थान होने से शहर में खेल की गतिविधियां भी खूब होती हैं। इसमें तमाम ऐसी बाते होती हैं जो जनता के सामने नहीं आ पातीं। कुछ ऐसे ही मामलों को रियल जर्नलिज्म के कॉलम पवेलियन से सामने ला रहे हैं अंकुश शुक्ल।
मेरी मर्जी
मैच शेड्यूल के हिसाब से कूच बिहार ट्रॉफी का जो मुकाबला कमला क्लब में होना था उसकी तैयारी ग्रीनपार्क स्टेडियम में चलती रही। जब मुकाबले की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंचीं, तभी उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने एक पासा फेंका। खराब मौसम का हवाला देकर गुपचुप रहने वाले साहब ने मैच कमला क्लब में कराने की निर्णय ले लिया। गुपचुप साहब की मर्जी एसोसिएशन के अन्य सहकर्मियों को हजम नहीं हो सकी। उन्होंने मामला मीडिया तक पहुंचा दिया। मीडिया की खासी दखलअंदाजी होने पर साहब ने आनन-फानन मैच रेफरी के साथ ग्रीनपार्क का मुआयना किया और मैच का स्थान कमला क्लब में ही परिवर्तित करा लिया। आलोचना से परे साहब के कान में जूं तक नहीं रेंगी। हालांकि सहकर्मियों की मेहनत रंग लाई, मामला मेरठ वाले साहब के दरबार में पहुंचा। साहब बड़े खिलाड़ी निकले, खुद को फंसता देखकर उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का वादा किया है।
किच-'पिच'
कमला क्लब में उप्र बनाम दिल्ली के बीच हुए कूच बिहार ट्रॉफी के मुकाबले में मैच से ज्यादा पिच पर किच-पिच चर्चा में रही। बारिश के कारण मैदान गीला होने के कारण कर्मी भरसक प्रयास में जुटे थे। प्रेस का उपयोग कर पिच को मैच लायक बनाया। अगले दिन मीडिया में पिच पर प्रेस की फोटो देखकर एसोसिएशन के पदाधिकारियों के चेहरे मुरझा गए। हालांकि पदाधिकारी इसे नियमों के अनुसार बताते रहे, लेकिन तब तक मामला काफी गर्म हो चुका था। मीडिया ने भी इस गर्माहट का अहसास अधिकारियों को कराने के लिए मैच से ज्यादा एसोसिशन की खामियों पर फोकस किया। इंद्र देवता की मेहरबानी से मौसम ने तो साथ दिया पर मैच का परिणाम नहीं निकल सका। उधर, मैदान में अधिकारियों की किच-पिच ने पर्दे के पीछे की कहानी को रंगरूप देने वाले कलाकारों को उजागर कर दिया। हालांकि बड़े साहब इन कलाकारों को बेरंग करने की बात कहते रहे।
पोल खोल
ग्रीनपार्क स्टेडियम में क्षेत्रीय क्रीड़ा विभाग व ओलंपिक संघ के बीच पोल का खेल पिछले दिनों अपने चरम पर रहा। हैंडबॉल के कैंप के दौरान पोल गिरने से एक महिला खिलाड़ी चोटिल हो गई। कैंप के आयोजकों ने खिलाड़ी को प्राथमिक उपचार कराके घर पहुंचाया। इसके बाद क्षेत्रीय क्रीड़ा विभाग व ओलंपिक संघ के पदाधिकारियों के बीच शुरू हुई नूरा-कुश्ती। विभाग पोल गिरने की बात नकारते दिखा। वहीं ओलंपिक संघ के अधिकारी इसे उनकी गलती बताते रहे। इस बाबत खिलाडिय़ों को लगा कि चलो अब नया पोल लग जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद क्षेत्रीय क्रीड़ा विभाग ने चोटिल खिलाड़ी का हालचाल लेने के लिए अपने सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी को भेजा। खिलाड़ी महोदय ने विभाग के बड़े बाबू को जमकर डाक्टरी समझाई और मामला शांत कराने में कामयाब हो गए। इस पूरे प्रकरण में महिला खिलाड़ी विभाग व संघ की लड़ाई के बीच अपने चयन से वंचित रह गई।
अंपायर बोल्ड
कानपुर क्रिकेट एसोसिएशन के लीग मुकाबलों में एक खिलाड़ी आउट ऑफ कंट्रोल होकर निर्णय देने वाले अंपायर से ही भिड़ गया। खिलाड़ी व अंपायर के बीच हुई गरमागरम बहस से एसोसिएशन के वरिष्ठजनों का जोश उफान मारने लगा। भले ही सर्वेसर्वा ने दोषी खिलाड़ी पर कुछ मैचों के लिए प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन मैदान में भय अभी कायम है। अब मैदान पर खिलाडिय़ों की तू-तू-मैं-मैं सुनते ही अंपायर सहम जाते हैं। हाल में कमला क्लब में हुए प्रदेशस्तरीय मैच के दौरान केसीए के वरिष्ठ अंपायर हर किसी से इस बात की चर्चा करते नजर आए। उनकी सुनकर साहब बोले, इसी तरह की लीग में खेलकर कई खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में अपनी धाक जमाने में कामयाब रहे हैं। उनकी देखा-देखी अब युवा क्रिकेटर ऐसी गर्मी दिखा अपने भविष्य में पलीता लगा रहे हैं। अब बेचारे अंपायर की क्या गलती। बोले, गर्मी दिखाने वाले घर पर ही रहें तो ही बेहतर रहेगा।