ऐसी क्या थी वजह जो सिक्योरिटी गार्ड और उसके साथी ने गोदाम में फांसी लगाकर दी जान Kanpur News
सुबह दोनों के लटकते मिले शव गार्ड की जेब में मिला सुसाइड नोट इटावा में रहता था दोस्त।
कानपुर, जेएनएन। काकादेव के गीता नगर स्थित एक पेंट गोदाम के सिक्योरिटी गार्ड का कमरे में और उसके साथी का परिसर में ही स्थित एक पेड़ से शव लटका मिला। सूचना पर पुलिस और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची। छानबीन में सिक्योरिटी गार्ड की जेब से सुसाइड नोट मिला।
गीता नगर के पेंट गोदाम में कश्यप नगर कल्याणपुर निवासी परचून दुकानदार द्वारिका पाल का 24 वर्षीय बेटा दीपक सिक्योरिटी गार्ड था। दीपक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने के साथ ही दादा नगर के जेके इंस्टीट्यूट से आइटीआइ का डिप्लोमा भी कर रहा था। गुरुवार को उसकी नाइट ड्यूटी थी। ड्यूटी के बाद शुक्रवार सुबह वह घर नहीं पहुंचा तो पिता ने दिन ड्यूटी करने वाले गार्ड रावतपुर गांव निवासी सुरेश को फोन किया। इस पर सुरेश ने गोदाम पहुंचकर बताने की बात कही।
कुछ देर बाद गोदाम पहुंचे सुरेश ने दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इस पर उसने कंट्रोल रूम को सूचना दी। काकादेव पुलिस ने पहुंचकर धक्का देकर छोटा गेट खोला। अंदर जाने पर गार्ड रूम में पंखे के कुंडे से रस्सी के सहारे दीपक का शव लटका मिला। पुलिस अभी छानबीन कर ही रही थी कि तभी कुछ दूरी पर पेड़ से चादर के फंदे से दूसरे युवक का शव लटका मिला। तलाशी में उसके पास से लखनऊ के इंस्टीट्यूट का आइकार्ड मिला, जिससे उसकी शिनाख्त सैफई इटावा निवासी 25 वर्षीय सचिन दुबे के रूप में हुई। सूचना पर दीपक के परिजन पहुंचे। परिजनों ने बताया कि सचिन बेटे दीपक का मित्र है, जो कभी कभी यहां आता था। सुसाइड नोट में दीपक ने आत्महत्या के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराया है।
दोस्तों के आत्महत्या करने के मामले की जानकारी पर एसपी पश्चिम संजीव सुमन भी मौके पर पहुंचे और पूछताछ की। सीओ स्वरूप नगर अजीत सिंह चौहान ने कहा कि दीपक के पास सुसाइड नोट मिलने से माना जा रहा है कि पहले दीपक ने फांसी लगाई है। फंसने से बचने के लिए उसके दोस्त में फांसी लगा ली। दीपक के आत्महत्या के पीछे क्या कारण था यह स्पष्ट नहीं हुआ है। इस बारे में परिजनों से पूछताछ की जा रही है।
सॉरी मम्मी-पापा
दीपक के पास से मिले सुसाइड नोट में लिखा है कि मेरी मौत का जिम्मेदार मैं खुद हूं। मैं अपनी वजह से ही खुश नहीं रह पा रहा। मेरी मौत से किसी का कोई लेना देने नहीं। मैं सबकुछ होशो हवास में कर रहा हूं। मैं अपनी जिंदगी से खुश नहीं हूं।