कोलकाता से आए मूर्तिकार बन गए कर्जदार, अब दुर्गा पूजा का इंतजार

हर वर्ष की तरह कोलकाता से शहर में प्रतिमाएं बनाने के लिए मूर्तिकारों का दल आ गया था लेकिन गणेश पूजा में बिक्री न होने से अब सिर्फ दुर्गा पूजा से ही उम्मीद लगा रखी है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 19 Sep 2020 09:26 PM (IST) Updated:Sat, 19 Sep 2020 09:26 PM (IST)
कोलकाता से आए मूर्तिकार बन गए कर्जदार, अब दुर्गा पूजा का इंतजार
कोलकाता से आए मूर्तिकार बन गए कर्जदार, अब दुर्गा पूजा का इंतजार

कानपुर, जेएनएन। हर बार की तरह महीनों पहले से डेरा डालने वाले मूर्तिकार इस बार भी शहर रोजी-रोटी कमाने की तलाश में शहर आए थे लेकिन हालात कुछ ऐसे बन गए कि वो अब कर्जदार होते जा रहे हैं। गणेश चतुर्थी और विश्वकर्मा पूजा का त्योहर में टूट चुके मूर्तिकारों को अब नवरात्र और दुर्गा पूजा का इंतजार है ताकि साल भर परिवार का पेट पालने के लिए कुछ इंतजाम कर सकें। वरना उन्हें मूर्तियां तैयार करने में लिया कर्ज भी उतारना मुश्किल हो जाएगा। कुछ ऐसी दास्तां है कोलकाता से आए मूर्तिकारों की...।

कोलकाता से बर्रा में प्रतिवर्ष छह माह के लिए कारीगरों की टीम के साथ आने वाले मूर्तिकार प्रताप पाल बताते हैं कि पिछले 18 वर्षों से शहर व आसपास के जिलों में बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं बनाकर बेचते रहे हैं। इससे वह पूरे साल के लिए परिवार का पालन करने के लिए आमदनी कर लेते थे लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण ने उम्मीदें धूमिल कर दी हैं।

दुर्गा पूजा, गणेश चतुर्थी और विश्वकर्मा भगवान की प्रतिमाओं के लिए आर्डर दो माह पहले से मिलने लगते थे। इस बार गणेश चतुर्थी पर कुछ ही छोटी प्रतिमाएं ही बिकीं, अबतो सिर्फ दुर्गा पूजा पर अंतिम उम्मीद टिकी है। उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष नवरात्र में वह 20 से 25 लोग लाते थे लेकिन इस बार सिर्फ सात ही कारीगरों को साथ लाए हैं। कोलकाता के 24 परगना निवासी मूर्तिकार बाबूराम मुंडल ने बताया कि छोटी प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं ताकि किराया ही निकाला जा सके वरना कर्ज उतारना भी मुश्किल हो जाएगा। 

पिछले वर्ष भरमार, इस बार इंतजार

मूर्तिकारों के मुताबिक पहले गणेश चतुर्थी और नवरात्र में बड़ी व छोटी मिलाकर लगभग चार से पांच हजार प्रतिमाएं बिक जाती थी। डेढ़ फीट से लेकर 12 फीट तक की प्रतिमाओं के रेट तीन हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक होते हैं। अबतो कच्चा सामान दोगुना दाम पर मिल रहा है। मूर्तिकार रनजीत पाल कहते हैं कि कोरोना संक्रमण के चलते प्रतिमा बनाने में प्रयोग होने वाला ज्यादातर सामान का रेट दोगुना हो गया है। मिट्टी के रेट एक हजार तो सुतली व लकड़ी के रेटों में 200 से 300 रुपये अधिक देने पड़ रहे हैं। कर्ज लेकर मूर्तियां तैयार कर रहे हैं, यदि उम्मीद के अनुसार बिक्री नहीं हुई तो कर्ज उतारना मुश्किल हो जाएगा।

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