Scam in Kanpur : एसडीएम के डिजिटल सिग्नेचर से स्वीकृत हुए आवेदन, कई बड़े नाम आ सकते हैं सामने

सत्यापन के दौरान अल्पसंख्यक कल्याण विभाग समाज कल्याण विभाग और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा दिए गए अनुदान में घोटाला सामने आया है और एडीएम आपूर्ति की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सत्यापन अधिकारियों को ही इस अनियमितता के लिए दोषी माना है।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 12:05 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 12:05 PM (IST)
Scam in Kanpur : एसडीएम के डिजिटल सिग्नेचर से स्वीकृत हुए आवेदन, कई बड़े नाम आ सकते हैं सामने
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग को भेजा

कानपुर, जेएनएन। शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना में सुनियोजित तरीके से घोटाला किया गया है। दलाल, लिपिक, कानूनगो और लेखपालों के गठजोड़ से इस घोटाले को अंजाम देने की बात सामने आ रही है। लेखपालों ने फर्जी तरीके से सत्यापन किया और उनकी रिपोर्ट को कानूनगो और तहसीलदार ने आगे बढ़ाया और फिर सदर तहसील में वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 में तैनात उप जिलाधिकारियों ने इसी रिपोर्ट के आधार पर डिजिटिल सिग्नेचर के जरिए फार्मों को समाज कल्याण विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग को भेजा। हालांकि उनके डिजिटल सिग्नेचर करने का आरोप एक लिपिक पर है, जिसके पास पोर्टल की आइडी और पासवर्ड था। महिला लिपिक पहले ही निलंबित हो चुकी है।

सत्यापन के दौरान अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, समाज कल्याण विभाग और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा दिए गए अनुदान में घोटाला सामने आया है और एडीएम आपूर्ति की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सत्यापन अधिकारियों को ही इस अनियमितता के लिए दोषी माना है। अब यह देखा जाएगा कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की ओर से कितने अपात्रों को अनुदान दिया गया है। शादी अनुदान में योजना में अब तक 211 आवेदन अपात्र, 702 के पते नहीं मिले हैं। नौ ने कहा है कि उन्होंने आवेदन ही नहीं किया। आठ की पहले ही शादी हो चुकी है। 22 ऐसे थे जिनकी शादी नहीं हुई थी, जबकि 90 फार्म ऐसे थे जिनकी अभिलेख न मिलने की वजह से जांच नहीं हुई है।

इसी तरह पारिवारिक लाभ योजना में 198 अपात्र, 1106 पते पर नहीं मिले, चार की योजना का लाभ लेने से बहुत पहले मौत हो चुकी है जबकि दो की वाॢषक आय मानक से ज्यादा थी। फिलहाल तमाम अपात्र हैं, जिन्हेंं अनुदान मिल चुका है। लेखपालों पर आरोप है कि उन्होंने उन लोगों के गलत पते पर आय प्रमाण पत्र भी बनाए हैं जिन्हेंं लाभ दिया गया है। यह आरोप इसलिए भी साबित हो रहा है क्योंकि दोनों योजनाओं में 18 सौ से अधिक लोग पते पर नहीं मिले हैं। यह माना गया है कि फर्जी पते पर उन्हेंं अनुदान दिया गया है। तहसीलदार पर आरोप है कि उन्होंने पर्यवेक्षण सही तरीके से नहीं किया।

21 लेखपालों पर होगी कार्रवाई : प्रमोद मिश्रा, दिलीप सचान, धर्मपाल, अरविंद तिवारी, शैलेंद्र ङ्क्षसह, रामखिलावन भारती, नीतू त्रिपाठी, स्नेह, देवेंद्र पांडेय, सुजीत कुशवाहा, अजय कुशवाहा, आलोक दुबे, हरनरायन दुबे समेत 21 लेखपाल और छह कानूनगो के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई होगी।

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