Water Conservation: कानपुर के एक गांव में समाज के लिए नजीर बन गई ग्रामीणों की संजीदगी, आसमानी अमृत से भर दिया बंजर

कानपुर के बिधनू कठारा ग्राम पंचायत में जल संरक्षण के लिए एकजुट हुए ग्रामीणों ने बंजर जमीन में तालाब खोदकर बारिश का पानी सहेजा और पर्यावरण संरक्षण के लिए बंजर जमीन पर 6500 पौधे भी रोपे गए हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 07 Apr 2021 08:54 AM (IST) Updated:Wed, 07 Apr 2021 08:54 AM (IST)
Water Conservation: कानपुर के एक गांव में समाज के लिए नजीर बन गई ग्रामीणों की संजीदगी, आसमानी अमृत से भर दिया बंजर
ग्रामीणों ने साकार किया सहेज लो हर बूंद का सपना।

कानपुर, [सर्वेश पांडेय]। जल संकट की चर्चा तो खूब होती है, लेकिन इसके समाधान के लिए तन मन से एक जुट होकर कुछ कम ही लोग कदम बढ़ाते हैं। बिधनू ब्लाक के कठारा ग्राम पंचायत के करियाझाल गांव में लोगों ने इस संकट को समझा और इससे निजात के लिए दो साल पहले बंजर जमीन पर तालाब खोद डाला। ग्रामीणों की इस प्रसंशनीय पहल को देखकर ग्राम पंचायत ने नहर से बंद पड़े रजबहे की सफाई कर तालाब को भर दिया। जल संकट के प्रति ग्रामीणों की यह संजीदगी समाज के लिए नजीर बन गई।

कठारा ग्राम पंचायत क्षेत्र के निवासी वीरपाल सिंह यादव, पप्पू, बाबू सिंह, शिवसिंह, दयाल सिंह, राजेश सिंह, राजेन्द्र यादव, छेदीलाल ने बताया कि कई वर्षों से क्षेत्र का जल स्तर गिरने से हैंडपंपों व कुओं का पानी सूखता जा रहा था। गांव के बाहर जंगल में कई पशु पक्षियों को पानी बिना तड़प कर मरते देखा। इसके बाद सभी ने एक जुट होकर वीरपाल की अगुवाई में जल संकट को दूर करने के लिए पहले भूगर्भ जल स्तर बढ़ाने के बारे में सोचा। इसके लिए उन्होंने गांव व आसपास के मजरों के लोगों से बात कर करियाझाल गांव के बाहर खाली पड़ी ग्राम समाज की 65 बीघा बंजर जमीन खोज निकाली।

इसके बाद दो बीघा क्षेत्रफल पर तालाब खोदकर उसमे बरसात का पानी संरक्षित करने की ठानी। जिसपर क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों ने गांव के बाहर चिलचिलाती धूप में तालाब की खोदाई शुरू कर दी। करीब आधा तालाब खुद जाने के बाद लोगों की पहल देख निवर्तमान प्रधान सीमा यादव ने ग्राम पंचायत निधि से 80 मीटर लंबा, 40 मीटर चौड़ा और 4 मीटर गहरा तालाब खोदकर तैयार कर दिया। इसके बाद करीब एक किमी रजबहे की सफाई कराके नहर से तालाब में 3 मीटर तक पानी भरवाया। इसके बाद पास के गांव में जलस्तर बढऩे से हैंडपंपों से पानी आना शुरू हो गया हैं। ग्रामीण यहीं नहीं रुके इसके बाद बगल में पड़ी 10 बीघा जमीन के साथ तालाब के चारो तरफ 6500 पौधे लगाए, इनमें से 4500 पेड़ बन चुके हैं।

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