Water Conservation: कानपुर में चौबेपुर की महिलाओं ने समझी जल ही जीवन की हकीकत और बन गईं तालाब की पहरेदार
चौबेपुर के बिरैचामऊ गांव की सुषमा के नेतृत्व में अन्नपूर्णा समूह की महिलाओं ने श्रमदान करके तालाब खोदा जिससे मकानों की छतों से निकलने वाले बारिश के पानी को पाइप से जोड़ दिया। अब गर्मी में भी तालाब पानी से भरा रहता है।
कानपुर, जेएनएन। जल ही जीवन है, यह हकीकत चौबेपुर के बिरैचामऊ गांव की महिलाओं को बखूबी पता है। तभी तो वह अन्नपूर्णा स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष सुषमा दीक्षित के नेतृत्व में मनरेगा के तहत खोदे गए तालाब के पानी की पहरेदार बन गई हैं। यहां पर उन्होंने अमरूद, आम आदि के पौधे लगाए हैं और जैविक खेती संग जल संरक्षण के लिए भी किसानों में जागरूकता फैला रही हैं।
बिरैचामऊ गांव के निवर्तमान प्रधान सुबोध दीक्षित की मां सुषमा दीक्षित ने अन्नपूर्णा महिला स्वयं सहायता समूह का गठन पांच साल पहले किया था। इस समूह की महिलाओं ने मिलकर जैविक खेती शुरू की। आधा दर्जन और स्वयं सहायता समूहों का गठन कराया। इन सभी समूहों में महिलाएं हैं जो जैविक खेती करती हैं। इन्हीं महिलाओं से उन्होंने श्रमदान कराकर गांव के तालाब पर पौधारोपण कराया। एक साल पहले तक गांव के तालाब का पानी लोग खेतों की ङ्क्षसचाई के उपयोग में लाते थे। ऐसे में तालाब सूख जाता था। सुषमा ने इसका विरोध किया तो समूह की सपना पांडेय, लक्ष्मी, पूजा, रानी भी उनके साथ खड़ी हुईं। अब तालाब के पानी से खेत की सिंचाई नहीं होती और गर्मी में भी पानी लबालब भरा हुआ है। पास की नहर से तालाब तक मनरेगा से बंबा खोदा गया।
सुषमा के आग्रह पर कुछ दिन महिलाओं ने श्रमदान भी किया। अब नहर से पानी तालाब में आता है। पहले गांव में पिंक सामुदायिक शौचालय की स्थापना कहीं और होनी थी। सुषमा ने सीडीओ और डीपीआरओ से मुलाकात की। अब तालाब के पास ही सरकारी धन से सामुदायिक शौचालय बन गया। इसकी देखरेख भी ये महिलाएं ही करती हैं। सुषमा ने बारिश का पानी जो लोगों की छतों से बहकर बर्बाद हो जाता है उसे सहेजने के लिए आधा दर्जन सबमर्सिबल के पाइप को छत से पाइप लगाकर जोड़ दिया। अब बारिश का पानी पाइप के जरिए धरा के अंदर जला जाता है। सुषमा ने बुंदेलखंड की तर्ज पर ही स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के खेतों में गड्ढे बनवाने की तैयारी की है ताकि बारिश का पानी उसमें सहेजा जा सके।