स्वयं सहायता समूहों का गठन कर महिलाओं को स्वावलंबन की राह दिखा रहीं संध्या

स्वयं के साथ गांव की महिलाओं को बनाया स्वावलंबी मानक पत्थर बोर्डों की ढलाई से छुआ सफलता का आकाश हर सदस्य ने हर माह रुपये समूह के कोष में जमा किए 25 जुलाई 2020 को मनरेगा के तहत होने वाले कामों के आरसीसी मानक पत्थर बोर्ड बनाने का मिला काम

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 07:49 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 09:29 PM (IST)
स्वयं सहायता समूहों का गठन कर महिलाओं को स्वावलंबन की राह दिखा रहीं संध्या
वृद्धा के साथ मानक पत्थर बोर्डों को रखतीं संध्या सिंह
कानपुर, जेएनएन। नारी सशक्तिकरण की मुहिम को और बुलंद करने के लिए संध्या सिंह ने खुद के साथ गांव की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों का गठन करवाया। वह बिधनू ब्लाक के सपई गांव रहने वाली हैं आैर मनरेगा में लगने वाले मानक पत्थर बोर्ड की ढलाई का काम भी करती हैंं। पूरे ब्लाक की ग्राम पंचायतों को पत्थर बोर्ड उपलब्ध कराकर अपने साथ समूह की अन्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बना रहीं हैं। साथ ही गांव में चल रहे अन्य समूहों की देख-रेख कर उन्हें सिलाई, बुनाई के काम भी दिला रही हैं। वे चाहती हैं कि प्रत्येक महिला स्वावलंबन की राह पर  चलकर मजबूत बने।
 27 वर्षीय संध्या सिंह ने वर्ष 2018 में तीन दिवसीय समूह सखी का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद गांव में आस पड़ोस की 10 महिलाओं को एकत्रित कर मां कल्याणी स्वयं सहायता समूह का गठन किया। इसमे हर सदस्य ने हर माह 100-100 रुपये समूह के कोष में जमा किए। इसके बाद आरएफ ( रिवाल्विंग फंड) की 15 हजार धन राशि लेकर समूह के सदस्यों के बीच प्रति माह 2 प्रतिशत ब्याज में धन राशि का आदान प्रदान शुरू किया। इससे समूह की महिलाओं को जरूरत के वक्त छोटे मोटे खर्चों के लिए सरलता से धन राशि मिलने लगी। सदस्यों की सहमति से बैंक से सीसीएल ( कैश क्रेडिट लिमिट) के 50 हजार और सीआइएफ (कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट फंड) के 1.10 लाख रुपये लेकर समूह की महिलाओं को अधिक धन राशि मुहैया कराई जाने लगी। 25 जुलाई 2020 को ब्लाक से मनरेगा के तहत होने वाले कामों के आरसीसी मानक पत्थर बोर्ड बनाने का काम मिला। संध्या ने बताया कि पहले उन्हें ब्लाक की 59 ग्राम पंचायतों में से 26 ग्राम पंचायतों में बन रहे सामुदायिक शौचालय के पत्थर बोर्ड तैयार करने का आर्डर मिला। मात्र 20 दिनों में समूह की महिलाओं ने 26 पत्थर तैयार कर दिए। अभी शेष 33 ग्राम पंचायतों के आर्डर मिलने हैं। 
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