Diwali 2021: आतिशबाजी छुड़ाने पर ध्यान रखें ये बातें, जानिए- बचाव के खास टिप्स

आतिशबाजी छुड़ाते समय बच्चों की निगरानी जरूर करें और अनहोनी होने पर जले हुए अंग पर साफ पानी तबतक डालते रहें जबतक जलन खत्म न हो जाए। नजदीकी अस्पताल या चिकित्सक को जरूर दिखाएं। बच्चों को पटाखों से दूर रखें।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 04 Nov 2021 11:59 AM (IST) Updated:Thu, 04 Nov 2021 11:59 AM (IST)
Diwali 2021: आतिशबाजी छुड़ाने पर ध्यान रखें ये बातें, जानिए- बचाव के खास टिप्स
दीपावली पर ध्यान रखने योग्य बातें ।

कानपुर, जागरण संवाददाता। दीपों का त्योहार दीपावली, खुशियों, उल्लास और उत्साह के साथ मनाएं लेकिन आतिशबाजी सतर्कता और एहतियात के साथ छुड़ाएं। बच्चों को अकेले आतिशबाजी न छुड़ाने दें और उनकी निगरानी करें। जरा सी असावधानी से नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखकर हादसों को टाला जा सकता है, वहीं अप्रिय घटना होने या फिर शरीर को किसी तरह की हानि पहुंचने पर प्राथमिकताओं का पालन करके बचाव किया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसी प्रकार की अनहोनी होने पर जले हुए अंग पर साफ पानी तब तक डालें, जब तक जलन खत्म न हो जाए। उसके बाद नजदीकी अस्पताल या चिकित्सक को दिखाएं।

जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. सौरभ अग्रवाल का कहना है कि दीपावली पर आतिशबाजी छुड़ाने पर सजगता जरूरी है। अगर बारूद से जल जाएं तो शहरी के जले हुए हिस्से पर साफ पानी तक तक डालें, जबतक जलन खत्म न हो जाए। जलने के बाद कपड़े से भूल कर भी अंग को न रगडें और न ही साफ करें, ऐसा करने से त्वचा उधड़ सकती है। बच्चों को पटाखों से दूर रखें। ब'चे आतिशबाजी छुड़ाएं तो वहां जरूर मौजूद रहें।

इसका रखें ध्यान ख्याल : जले हुए अंग को बर्फ से नहीं धोना है। न ही जले हुए हिस्से पर टूथपेस्ट या हल्दी लगाएं। ऐसा करने से त्वचा में संक्रमण हो सकता है।

पटाखों के धुएं से हो सकती दिक्कत : डा. अग्रवाल का कहना है कि आतिशबाजी छुड़ाने पर धुएं के साथ कई प्रकार के हानिकारक गैसें निकालती हैं। इसके प्रदूषण से गले एवं फेफड़ों में दिक्कत हो सकती है। प्रदूषण से सांस नलिकाओं में एलर्जी की समस्या हो सकती है।

आंखों में दिक्कत में न बरतें लापवाही : जीएसवीएम मेडिकल कालेज के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. परवेज खान का कहना है कि पटाखे में आग लगाने के बाद दूरी बनाकर खड़े हो जाएं। उसे पास जाकर न छुएं और न ही फूंकें। अगर पटाखा जलाते समय बारूद आंख में चली जाए या झुलस जाएं। ऐसे मे आंखों में चूभन होने लगती है। ऐसे में भुल कर आंखों को न रगडें। साफ पानी से आंखों की अ'छी तरह धो लें। फिर भी आराम नहीं मिले तो तत्काल नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाएं। अगर पटाखे की वजह से दिखना बंद हो जाए तो तत्काल सुविधाओं से सुसज्जित अस्पताल में जाकर भर्ती हो जाएं।

पटाखा जलाएं तो सैनिटाइजर दूर रखें : कोरोना काल से हाथ सैनिटाइज करने की आदत पड़ गई है। ध्यान रखें पटाखा जलाते समय हाथ को सैनिटाइज न करें। आतिशबाजी से पूर्व साबुन से हाथ धोएं। सैनिटाइजर में अलकोहल का इस्तेमाल होता है, जो ज्वलनशील होता है। इससे आग भड़कने का खतरा रहता है।

ग्रीन क्रैकर्स ही जलाएं : कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने हरित पटाखों की बिक्री के निर्देश दिए हैं। हरित पटाखों को प्रदूषण के मानकों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसमें सल्फर और नाइट्रोजन की मात्रा कम रहती है। ऐसे में आतिशबाजी के दौरान 50 फीसद तक धुआं कम निकलता है। आवाज और रोशनी भी पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम होती है। हरित पटाखे भी सामान्य पटाखों की तरह तैयार किए जाते हैं।

आतिशबाजी के समय यह बरतें सावधानी

- पानी से भरी बाल्टी एवं फस्र्ट एड किट भी रखें।

- एक समय में एक व्यक्ति एक ही पटाखा जलाएं।

- जले हुए पटाखे को न छूएं, दोबारा फट सकता है।

- झोपड़ी के आसपास, बंद कमरे में पटाखा न जलाएं।

- राकेट या हवा में उडऩे वाले पटाखे सीधा रखकर जलाएं।

- पटाखा जलाते समय गागल्स लगाने से आंखें सुरक्षित रहेंगी।

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