फर्ज का कर्ज : कोरोना संक्रमितों के शवों के अंतिम संस्कार की वजह से 35 साल में पहली बार छोड़ दिया रोजा

पहले एक माह में 25 से 30 शवों का अंतिम संस्कार हो जाए तो बड़ी बात होती थी। एक दिन में अधिकतम छह तक शवों का अंतिम संस्कार हुआ था लेकिन अब कोरोना काल में अब रोज 35 के ऊपर लोगों का अंतिम संस्कार हो रहा है।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 06:10 AM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 09:32 AM (IST)
फर्ज का कर्ज : कोरोना संक्रमितों के शवों के अंतिम संस्कार की वजह से 35 साल में पहली बार छोड़ दिया रोजा
कमरुद्दीन ने बताया कि वर्ष 1990 से विद्युत शवदाह गृह में काम देख रहे हैं

कानपुर (राहुल शुक्ल)। कोरोना संक्रमितों के शवों का अंतिम संस्कार करा रहे नगर निगम के विद्युत शवदाह गृह के सुपरवाइजर मोहम्मद कमरुद्दीन ने इंसानियत का फर्ज निभाया और 35 साल में पहली बार रोजा तक छोड़ दिया। जेहन में ही अल्लाह की इबादत कर दुनिया से रुखसत हुए बंदों को अलविदा कर रहे हैैं।

कमरुद्दीन सुबह नौ बजे भैरोघाट विद्युत शवदाह गृह पहुंच जाते हैं। इसके बाद एक-एक कोरोना संक्रमित के शव का अंतिम संस्कार कराते हैैं। इस दौरान साथ लगे कर्मचारियों की सुरक्षा का भी खास ध्यान रखते हैं। एक-एक कर्मचारी के पीपीई किट से लेकर मास्क और दस्ताने तक चेक करते हैं। यहीं नहीं भगवतदास घाट में बने विद्युत शवदाह गृह पर भी लगातार नजर रहती है। कमरुद्दीन ने बताया कि वर्ष 1990 से विद्युत शवदाह गृह में काम देख रहे हैं। 30 साल में पहली बार ऐसी स्थिति देखी है।

पहले एक माह में 25 से 30 शवों का अंतिम संस्कार हो जाए तो बड़ी बात होती थी। एक दिन में अधिकतम छह तक शवों का अंतिम संस्कार हुआ था लेकिन अब कोरोना काल में अब रोज 35 के ऊपर लोगों का अंतिम संस्कार हो रहा है। धीरे-धीरे दोनों ही विद्युत शवदाह गृह पर लोड बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पहले प्राथमिकता है कि समय से शवों का अंतिम संस्कार कराया जा सके। गर्मी में होने के कारण पहले ही मौसम गर्म है। छह सौ डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में शवों का अंतिम संस्कार होने और पीपीई किट लगातार पहनने से हालत खराब हो जाती है। ऐसे में थोड़ी-थोड़ी देर में पानी की जरूरत पड़ती है। थोड़ी देर में कुछ खाना भी पड़ता है। रोजा रखने के लिए छुट्टी ले सकते थे लेकिन इंसानियत के लिए पहले कर्म को प्राथमिकता दी। रात में 12 बजे तक घर पहुंचते हैं। परिवार से भी दूर रहना पड़ता था लेकिन परिवार पूरा सहयोग दे रहा है। इससे हौसला बढ़ता है। 

chat bot
आपका साथी