ओलंपिक पदक की आस में रोड़ा बन रही संसाधन की कमियां, चुनिंदा खिलाड़ी ही प्रदेशस्तरीय प्रतियोगिताओं से आगे निकल पात
ओलंपिक संघ द्वारा खिलाडिय़ों को बेहतर संसाधन व प्रशिक्षण मानक के मुताबिक दिलाने के लिए प्रयास किया जाएगा। वहीं उप निदेशक खेल मुद्गिका पाठक ने बताया कि जब से वे यहां पर तैनात हुई हैं तब से लगातार कोरोना के चलते स्टेडियम बंद चल रहा है।
कानपुर, जेएनएन। खेल जगत में शहर का नाम क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों में चुनिंदा मौकों पर ही चर्चा में रहता है। इसका एकमात्र कारण है खिलाडिय़ों को मिलने वाली सुविधाएं। मानक के मुताबिक प्रशिक्षण और संसाधन का अभाव खिलाडिय़ों को इस रेस में पिछाड़ रहा है। ऐसी परिस्थितियों में ओलिंपियन तो दूर की बात राष्ट्रीय मंच तक पहुंचने के लिए खिलाडिय़ों को संघर्ष करना पड़ता है। कानपुर ओलंपिक एसोसिएशन के प्रमुख रजत आदित्य दीक्षित ने बताया कि वर्तमान की बात करे तो शहर में शायद किसी खेल में मानक के मुताबिक संसाधन और प्रशिक्षक खिलाडिय़ों को मिल रहे हो।
जिसके कारण चुनिंदा खिलाड़ी ही प्रदेशस्तरीय प्रतियोगिताओं से आगे निकल पाते हैं। ओलंपिक संघ द्वारा खिलाडिय़ों को बेहतर संसाधन व प्रशिक्षण मानक के मुताबिक दिलाने के लिए प्रयास किया जाएगा। वहीं, उप निदेशक खेल मुद्गिका पाठक ने बताया कि जब से वे यहां पर तैनात हुई हैं तब से लगातार कोरोना के चलते स्टेडियम बंद चल रहा है। जबकि पूर्व खिलाडिय़ों ने भी शहर में संसाधन के अभाव को ही खेल व खिलाडिय़ों की बदहाली का प्रमुख कारण बताया।
दूसरे शहरों पर निर्भर प्रतिभावान खिलाड़ी : शहर से नाता रखने वाले खिलाडिय़ों को संसाधन के अभाव के चलते दूसरे शहरों में भटकना पड़ता है। तैराकी के लिए शहर में सिर्फ कुछ महीने ही प्रशिक्षण मिलता। वहीं, एथलीटों को सिंथेटिक ट्रैक के लिए भी आस-पास के जिलों में जाना पड़ता है। खेलों में मूलभूत सुविधाएं नहीं होने से प्रतिभावान खिलाड़ी मंच को प्राप्त नहीं कर पाते हैं। खेलों में अंतरराष्ट्रीय मानक के प्रशिक्षण नहीं मिलने से भी खिलाड़ी चयनित नहीं हो पाते हैं।
खेल व खिलाडिय़ों को इनकी दरकार