#Good News : Engineer ने पेश की नेकी की मिसाल, बुजुर्ग महिला को आजीवन राशन देने का लिया संकल्प
पत्नी प्रियंका ने 20 अप्रैल को काफी प्रयास के बाद उन्हेंं हैलट अस्पताल में भर्ती कराया। दूसरे दिन इलाज के दौरान ही नरेंद्र की मौत हो गई। पत्नी बताती हैं कि पति ने बच्चों को बड़े स्कूल में पढ़ाने और अफसर बनाने का ख्वाब देखा था।
कानपुर, जेएनएन। कोविड महामारी के दौरान अपने पति और दो जवान बेटों को खोने वाली महिला सुमन के भरण पोषण की जिम्मेदारी इंजीनियर मोहित शुक्ला ने ली है। मोहित कानपुर देहात के बागपुर स्थित निजी इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर तैनात हैं। दैनिक जागरण में खबर पढऩे के बाद उन्होंने बुजुर्ग महिला को जीवन पर्यंत राशन मुहैया कराने का संकल्प लिया है। इंदिरा नगर के गुप्ता कालोनी में रहने वाली सुमन के पति और दो बेटों की कोविड से महज चार दिन के भीतर मौत हो गई थी। पति और बेटों के जाने के बाद उनकी आय को कोई जरिया नहीं है।
तीन माह का राशन और 11 हजार की देंगे मदद : कोविड महामारी का शिकार बेसहारा बच्चों की मदद के लिए अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल भी आगे आया है। ऐसे परिवारों को उन्होंने तीन माह का राशन और 11 हजार रुपये देने का निर्णय लिया है। संस्था के महामंत्री ज्ञानेश मिश्रा ने बताया कि दैनिक जागरण में छपे ऐसे परिवारों की सूची बना ली है। शुक्रवार से इन परिवारों की मदद का सिलसिला शुरू करेंगे।
दिवंगत पति की ख्वाब पूर्ति को पत्नी बनी संघर्ष पथ गामिनि : सब्जी बेचकर नरेंद्र अपने बच्चों की फीस भरते थे। बेटा एलन हाउस में तो बेटी एनएलके में पढ़ रही है। ऐसे में सब्जी बेचकर नरेंद्र किस तरह से फीस भरते होंगे अंदाजा लगाया जा सकता है। बहरहाल बीते वर्ष बेटे का आरटीई एक्ट के तहत दाखिला हो गया तो परिवार को बड़ी राहत मिली। अब उनकी मौत के बाद बेटी की फीस को लेकर मां बेहद परेशान है। खलासी लाइन में किराये के मकान में नरेंद्र परिवार के साथ रहते थे। मंडी से सब्जी लाना और बेचना ही उनकी आय का जरिया था। 17 अप्रैल को उनकी तबीयत खराब हुई तो वह बिगड़ती चली गई।
पत्नी प्रियंका ने 20 अप्रैल को काफी प्रयास के बाद उन्हेंं हैलट अस्पताल में भर्ती कराया। दूसरे दिन इलाज के दौरान ही नरेंद्र की मौत हो गई। पत्नी बताती हैं कि पति ने बच्चों को बड़े स्कूल में पढ़ाने और अफसर बनाने का ख्वाब देखा था। इसके लिए वह दिन रात मेहनत करते थे। एक संस्था की मदद से बेटे आर्यन का दाखिला आरटीई एक्ट के तहत एलन हाउस में हो गया। बेटी वैष्णवी एनएलके में पढ़ रही है। उनके सामने आय का कोई जरिया नहीं है। पति की मौत का गम तो है ही अब उनका सपना पूरा करने की चिंता में वह दिन रात परेशान रहती हैं।