कानपुर: जाजमऊ पुराना पुल की मरम्मत की तैयारी, शुक्लागंज के बंद गंगा पुल को विशेषज्ञों ने देखा

जाजमऊ में पुराना गंगा पुल बार बार क्षतिग्रस्त हो रहा है और फिर पिलर की बेयरिंग टूट गई है। हालांकि आइआइटी के विशेषज्ञ 25 से अधिक सैंपल लेकर जांच कर रहे हैं रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति साफ हो सकेगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 14 Nov 2021 01:52 PM (IST) Updated:Sun, 14 Nov 2021 01:52 PM (IST)
कानपुर: जाजमऊ पुराना पुल की मरम्मत की तैयारी, शुक्लागंज के बंद गंगा पुल को विशेषज्ञों ने देखा
कानपुर में गंगा पुलों की हालत जर्जर हो गई है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। कानपुर से लखनऊ हाईवे पर जाजमऊ स्थित पुराना गंगा की मरम्मत का काम 15 नवंबर से कराने की तैयारी है। वहीं शुक्लांगज के बंद गंगा पुल की स्थिति को विशेषज्ञों ने देखा है, जिसपर वह अपनी रिपोर्ट देंगे। जाजमऊ पुल की क्षतिग्रस्त बेयरिंग को बदलने की तैयारी है और अच्छी बात यह है कि मरम्मत के दौरान पुल पर यातायात बंद नहीं होगा लेकिन धीमी गति से आवागमन कराया जाएगा।

जाजमऊ के पुराना गंगा पुल की स्थिति बहुत ही खराब है। आइआइटी कानपुर इस पुल की की उम्र, भार क्षमता, बेयरिंग की जांच कर रहा है। आइअाइटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर ही इस पुल का भविष्य तय होगा। अगर आइआइटी कहता है कि पुल बहुत ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा तो फिर एनएचएआइ नए पुल की डिजाइन तैयार कराएगा और डिटेल प्रोजेक्ट बनवाकर उसे स्वीकृति के लिए भेजेगा। वैसे भी तीन साल पहले जब इस पुल की मरम्मत का कार्य हुआ था तब इसकी जांच करने वाली कंपनी ने इसे जर्जर मानते हुए यह कहा था कि पुल को बंद कर दूसरा पुल बनाया जाना चाहिए। हालांकि इसकी बेयरिंग बदलकर और मरम्मत का कार्य कराकर इस पर यातायात फिर शुरू कर दिया गया, लेकिन बार- बार पुल क्षतिग्रस्त हो रहा है और इसकी बेयरिंग फिर टूट गई है। अब 15 नवंबर से बेयरिंग बदलने और मरम्मत का कार्य होगा। आइआइटी टीम पिलर के 25 से अधिक नमूने लेकर जांच कर रही है और रिपोर्ट दिसंबर अंत तक दे देगी। एनएचएआइ के परियोजना निदेशक पंकज मिश्रा का कहना है कि मरम्मत की अनुमति मिल गई है, अब काम समय से शुरू हो जाएगा।

विशेषज्ञों ने देखा शुक्लागंज का गंगा पुल

कानपुर से उन्नाव को जोड़ने वाला पुराना शुक्लागंज गंगा पुल अप्रैल 2021 से बंद है। ये पुल मरम्मत के बाद चल सकता है या नहीं यह जानने के लिए शुक्रवार को सेतु निगम और पीडब्ल्यूडी के विशेषज्ञों ने मुआयना किया। स्टीमर से प्रत्येक पिलर को देखा और फिर तय किया गया किया गया कि केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान ने जो जानकारियां मांगी हैं जल्द ही उन्हें दे दी जाएं ताकि विस्तृत जांच हो सके। संस्थान की जांच में ही तय होगा कि पुल के क्षतिग्रस्त पिलर की अगर मरम्मत कर दी जाए तो इस पर वाहनों का संचालन हो सकता है या नहीं।

उन्नाव और कानपुर को एक दूसरे से कनेक्ट करने के लिए 1875 में शुक्लागंज पुल का निर्माण किया गया था। इसके कई पिलर ऐसे हैं, जिनमें दरार पड़ गई है। 10 नंबर पिलर ज्यादा ही क्षतिग्रस्त है। दरारों की वजह से पिलर में बंधी लोहे की बेल्ट भी खुल गई है। पुल गिरने की आशंका को ध्यान में रखते हुए इसे अप्रैल में डीएम ने बंद करने का आदेश दिया था। पुल बंद हुआ तो सेतु निगम, पीडब्ल्यूडी ने केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान से इसकी उम्र, पिलर की स्थिति, क्षमता की जांच कराने का निर्णय लिया। संस्थान की टीम एक बार मुआयना कर पुल को देख चुकी है। विशेषज्ञों ने विस्तृत जांच के लिए पिलर की गहराई, डिजाइन, यातायात भार आदि जानकारियां मांगी हैं। पुल की स्थिति जांचने के लिए ही पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता विकास राकेश सक्सेना ने सात विशेषज्ञों की टीम गठित की है। जांच टीम ने शुक्रवार को हर पिलर को देखा और तय किया कि संस्थान की रिपोर्ट के बाद ही पुल के भविष्य पर निर्णय लिया जाएगा।  

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