Remdesivir Injection की कालाबाजारी का मामला, कानपुर में पुलिस के रडार पर पांच ड्रग कारोबारी
अपूर्वा ने अपने वाराणसी निवासी किसी परिचित के माध्यम से रोडवेज की मदद से इंजेक्शन की सप्लाई भेजने की जानकारी दी थी लेकिन छानबीन में इसकी पुष्टि नहीं हो सकी थी। इस पर पुलिस ने आरोपितों की सीडीआर भी निकलवाई लेकिन उससे कोई सुराग नहीं मिला।
कानपुर, जेएनएन। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में पुलिस बैच नंबर के आधार पर छानबीन कर रही है। वहीं पुलिस के राडार पर शहर के पांच ड्रग कारोबारी भी हैं, जिनसे जल्द ही पूछताछ की जा सकती है। पुलिस कड़ी से कड़ी जोड़कर गिरोह के सरगना तक पहुंचना चाहती है। जल्द ही कालाबाजारी करने वाले कारोबारियों पर शिकंजा कस जाएगा।
मिलिट्री इंटेलीजेंस के इनपुट पर यूपी एसटीएफ और बाबूपुरवा थाना पुलिस ने किदवई नगर चौराहे के पास से रेमडेसिविर की कालाबाजारी करते हुए तीन लोगों को दबोचा था। पूछताछ में शातिरों ने अपना नाम बक्तौरीपुरवा निवासी मोहन सोनी, पशुपति नगर निवासी प्रशांत शुक्ल और यमुना नगर हरियाणा निवासी सचिन कुमार बताया था। आरोपितों के पास से 265 रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद हुए थे। सरगना मोहन ने पूछताछ में बताया था कि पश्चिम बंगाल के अपूर्वा मुखर्जी से उसे 86 हजार रुपये लेने थे। तीन साल से अपूर्वा रकम वापसी नहीं कर पाया था। इस पर उसने रुपये वापसी के बजाय इंजेक्शन बेचने के लिए दिए थे।
पूछताछ में यह भी सामने आया था कि अपूर्वा ने अपने वाराणसी निवासी किसी परिचित के माध्यम से रोडवेज की मदद से इंजेक्शन की सप्लाई भेजने की जानकारी दी थी, लेकिन छानबीन में इसकी पुष्टि नहीं हो सकी थी। इस पर पुलिस ने आरोपितों की सीडीआर भी निकलवाई, लेकिन उससे कोई सुराग पुलिस के हाथ नहीं आया तो पुलिस ने बैच नंबर के आधार पर कंपनी से ब्योरा मांगकर किस किस को सप्लाई दी गई इसकी पड़ताल कर रही है। वहीं पुलिस ने शहर के पांच ड्रग कारोबारियों को संदेह के घेरे में रखा है। जल्द ही पुलिस इनसे पूछताछ कर सकती है। डीसीपी साउथ रवीना त्यागी ने बताया कि अलग-अलग बिंदुओं पर पुलिस टीमें काम करके चेन तलाश रही हैं। कुछ संदिग्धों पर निगाह है।