कानपुर में अस्थाई ही रहेगी चिकित्सा पीजी व एसएस कोर्स की मान्यता, आदेश जारी होते ही लागू हो जाएंगे बदलाव

चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और देश को बेहतर शिक्षक दिलाने के लिए एनएमसी प्रयासरत है। इस कड़ी में सरकारी व निजी मेडिकल कालेज चिकित्सकीय संस्थानों और चिकित्सा विश्वविद्यालय के हर विभाग में चलने वाले कोर्सेज की व्यवस्था दुरुस्त की जा रही है।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Tue, 05 Oct 2021 10:15 AM (IST) Updated:Tue, 05 Oct 2021 01:36 PM (IST)
कानपुर में अस्थाई ही रहेगी चिकित्सा पीजी व एसएस कोर्स की मान्यता, आदेश जारी होते ही लागू हो जाएंगे बदलाव
कानपुर मेडिकल कालेज की खबर से संबंधित प्रतीकात्मक फोटो।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। सरकारी व निजी मेडिकल कालेज और चिकित्सा विश्वविद्यालयों में पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) कोर्स यानी परास्नातक पाठ्यक्रम और सुपर स्पेशिएलिटी (एसएस) कोर्स की मान्यता अब स्थाई नहीं होगी। चिकित्सा शिक्षकों की कमी के अलावा सुविधाएं, संसाधन, मरीजों की कमी पर सीटें घट सकती हैं। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने नए पीजी पाठ्यक्रम के मसौदे में हर तीसरे वर्ष संस्थानों का निरीक्षण कर समीक्षा का प्रविधान किया है। पाठ्यक्रम के अनुरूप मानक पूरे न होने पर मान्यता भी खत्म की जा सकती है। आदेश जारी होते ही यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। 

चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और देश को बेहतर शिक्षक दिलाने के लिए एनएमसी प्रयासरत है। इस कड़ी में सरकारी व निजी मेडिकल कालेज, चिकित्सकीय संस्थानों और चिकित्सा विश्वविद्यालय के हर विभाग में चलने वाले पीजी कोर्स (एमडी/एमएस) और एसएस कोर्स (डीएम/एमसीएच) की व्यवस्था दुरुस्त की जा रही है। हर मेडिकल कालेज एवं संस्थानों के जिन-जिन विभागों में पीजी कोर्स और एसएस कोर्स संचालित हो रहे हैं, वहां हर तीसरे साल एनएमसी की टीम निरीक्षण करेगी। उन विभागों में देखा जाएगा कि चिकित्सा शिक्षकों की स्थिति क्या है, सुविधाएं, संसाधन, मरीजों की संख्या एवं उपकरण तय मानक के अनुसार उपलब्ध हैं या नहीं। मानक से कम सुविधाएं और संसाधन मिलने पर सीटें घटा दी जाएंगी। अगर सुविधाएं लगातार तीनों वर्ष तक मानक से कम रहती हैं तो कोर्स की मान्यता से समाप्त की जा सकती है। 

सुविधाएं बढऩे पर बढ़ सकती सीटें : तीन वर्षों के दौरान फैकल्टी, उपकरण, शिक्षण सामग्री और मरीजों की संख्या मानक से अधिक हो जाती है। एनएमसी के निरीक्षण के दौरान तीन वर्षों में लगातार सुविधाएं मानक से अधिक रहती हैं तो सीटें बढ़ाई भी जा सकती हैं।

पहले दो बार ही होता था निरीक्षण  : जब मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआइ) थी तब पीजी एवं एसएस कोर्स शुरू करने से पहले निरीक्षण होता था। उसके बाद जब पहले बैच के छात्र अंतिम वर्ष यानी तीसरे वर्ष में पहुंच जाते थे, तब एमसीआइ की टीम निरीक्षण करने आती थी। उसके बाद सुविधाएं और संसाधन घटने-बढऩे पर कोई फर्क नहीं पड़ता था। सीटें स्थाई ही रहती थीं, जिससे पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित होती थी। 

इनका ये है कहना: 

एनएमसी ने पीजी के नए पाठ्यक्रम के मसौदे में संस्थानों के प्रत्येक विभागों जहां पीजी एवं एसएस कोर्स संचालित हो रहे हैं, उनमें संसाधन, चिकित्सा शिक्षक (फैकल्टी), उपकरण, टीचिंग मैटेरियल, मरीजों की संख्या पर पूरा फोकस किया है। इन सुविधाओं व संसाधन के घटने पर सीटें घटाने के साथ ही कोर्स की मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है। आदेश जारी होने के बाद व्यवस्था लागू हो जाएगी।  - डा. मनीष सिंह, एनएमसी विशेषज्ञ, जीएसवीएम मेडिकल कालेज। 

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