देश की अस्मिता गंगा से है, वह स्वच्छ और अविरल रहेंगी तो ऊंचा रहेगा हमारा तिरंगा : रामनाथ कोविंद

राष्ट्रपति ने नर्वल में झंडा गीत के रचयिता श्यामलाल गुप्त पार्षद जी की प्रतिमा अनावरण किया। झंडा गीत पर नृत्य प्रस्तुत करने वाले बच्चों को राष्ट्रपति भवन आने का न्योता दिया।

By AbhishekEdited By: Publish:Sat, 06 Oct 2018 05:10 PM (IST) Updated:Sat, 06 Oct 2018 08:20 PM (IST)
देश की अस्मिता गंगा से है, वह स्वच्छ और अविरल रहेंगी तो ऊंचा रहेगा हमारा तिरंगा : रामनाथ कोविंद
देश की अस्मिता गंगा से है, वह स्वच्छ और अविरल रहेंगी तो ऊंचा रहेगा हमारा तिरंगा : रामनाथ कोविंद
कानपुर(जागरण संवाददाता)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि गंगा हमारी सांस्कृतिक विरासत है, देश की अस्मिता गंगा से है। गंगा स्वच्छ और अविरल रहेगी तो हमारा झंडा भी ऊंचा रहेगा। सरकार ने इसके लिए अविरल गंगा कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसमें देशवासी अपना सहयोग दें। नर्वल में झंडा गीत के रचयिता श्यामलाल गुप्त पार्षद जी की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद राष्ट्रपति कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।उन्होंने सांसद निधि से बनी डिजिटल लाइबेरी और प्रवेश द्वार का रिमोट से उद्घाटन किया। 
उन्होंने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी ने सांप्रदायिक सौहार्द के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया और पार्षद जी ने आजादी के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। कानपुर की धरती वीर सपूतों की धरती रही है।इस देश में जब तक लोकतंत्र रहेगा तबतक तिरंगा रहेगा और जबतक तिरंगा रहेगा पार्षद जी की स्मृतियां रहेंगी। देश में स्वाधीनता संग्राम को आगे बढ़ाने के लिए एक झंडे की जरूरत थी। तिरंगा तो बना लिया गया लेकिन उस स्वाधीनता संग्राम में जोश भरने के लिए गीत पार्षदजी ने लिखा। पार्षद जी ने पांचवी कक्षा में पहली कविता लिखी थी। जलियावाला बाग कांड में 13 अप्रैल 1924 को पहली बार यह गीत गाया गया। आजादी के दीवानों को यह गीत जोश और बलिदान की भावना से भर देता था। इस झंडा गीत के जरिये पार्षद जी ने स्वयं को अमर कर लिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि  यह नए भारत की सोच है कि बेटियां शादी से पहले शौचालय के बारे में पूछती हैं। बोले, 16-17 वर्ष पूर्व यहां आया था और सांसद निधि से विकास कार्य भी कराया। कहा कि मुझे यहां आने में कुछ विलंब हो गया, मैं काफी पहले ही आपके बीच में आना चाहता था। जब मैंने मुख्यमंत्री से यहां आने की इच्छा जताई और उन्हें विशेषता बताई कि यह उन पार्षद जी का गांव है, जिन्होंने झंडा गीत की रचना की थी तो वह भी आश्चर्यचकित हुए। उन्होंने कहा कि आप ऐसे नहीं जाएंगे, यह पार्षद जी का गांव है तो वहां विकास कार्य भी होना चाहिये, इसीलिए आने में आठ माह बीत गये।
कार्यक्रम के मंच पर तिरंगा झंडा गीत पर नृत्य प्रस्तुत करने वाले बच्चों को उन्होंने राष्ट्रपति भवन आने का न्योता दिया। इसके लिए प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना को जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने कहा कि प्रतिभा शहरों में ही नहीं इन गांव में भी बसती है, जहां सुविधाएं और संसाधन ना के बराबर है।राष्ट्रपति को प्रतीक चिंह और अंगवस्त्र भेंट किया। सांसद देवेंद्र सिंह भोले, सुरेंद्र अवस्थी, सुरेश गुप्ता उपस्थित रहे। 
गीत के शताब्दी वर्ष पर बुलाएंगे तो आऊंगा : राज्यपाल
राज्यपाल राम नाईक ने कहा पता होता तो बहुत पहले आपके बीच में आ जाता। गीत का शताब्दी वर्ष धूमधाम से मनाना। मैं जहां रहूंगा, बुलाएंगे तो जरुर आऊंगा। उन्होंने रवींद्र नाथ टैगोर और बंकिम चंद्र चटर्जी के बाद पार्षद जी का तृतीय स्थान बताया। राज्यपाल ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा में पहले जन गण मन नहीं गाया जाता था। सांसद रहते हुए मैने प्रस्ताव रखा जिसके बाद व्यापक चर्चा हुई और अब सत्र प्रारंभ से पूर्व जन गण मन और सत्र समापन पर वंदे मातरम् गाया जाता है। उन्होंने इनवेस्टर्स समिट का जिक्र किया। बोले, उप्र में तेजी से विकास हो रहा है। 4.28 लाख करोड़ रुपये निवेश आने से प्रदेश चमक जाएगा। 
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