वेतन विवाद में ठप हुई रेडियोथेरेपी यूनिट
कैंसर रोगियों के लिए इलाज का प्रमुख केंद्र जेके कैंसर संस्थान का सिस्टम मरीजम के लिए दुखदायी बन गया है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : कैंसर रोगियों के लिए इलाज का प्रमुख केंद्र जेके कैंसर संस्थान का सिस्टम मरीजों के लिए दुखदायी बन गया है। मंगलवार को शहर के साथ आस-पास के कई जिलों से मरीज रेडियोथेरेपी (सिकाई) के लिए संस्थान पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि वेतन न मिलने की वजह से संविदा कर्मियों ने यूनिट को ठप कर दिया है। मरीजों ने संस्थान के निदेशक को समस्या बताई, लेकिन वहां से भी बैरंग लौटाया गया।
संस्थान में कार्यरत कर्मचारियों ने बताया कि पिछले कई माह से वेतन नहीं मिल रहा है। कई बार निदेशक को परेशानी बताई, लेकिन ठोस जवाब नहीं मिला। वहीं जेके कैंसर संस्थान के निदेशक प्रोफेसर एसएन प्रसाद ने का कहना है कि ज्यादातर कर्मचारी एजेंसी के जरिए काम कर रहे हैं। एजेंसी के नामित होने की प्रक्रिया शासन में अटकी है। इसी कारण वेतन नहीं मिल पा रहा है। शासन को पत्र लिखकर रेडियोथेरेपी के साथ एमआरआइ, सीटी स्कैन और ओपीडी में कार्यरत संविदा एजेंसी की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने की बात रखी जाएगी।
मरीजों का क्या दोष
संस्थान और कर्मचारियों की आपसी खींचतान का असर मरीजों पर पड़ा, जबकि कैंसर जैसी भयावह बीमारी में रेडियोथेरेपी का नियमित होना बेहद जरूरी है। किसी मरीज को 20 तो किसी को 35 सिकाई करानी होती हैं। सबसे ज्यादा प्रभाव दूसरे शहरों से आने वाले मरीजों पर पड़ता है।
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संस्थान में आकर पता चला कि सिकाई नहीं होगी। मरीजों के लिए प्रशासन व जिम्मेदारों को सोचना चाहिए।
- राजकुमार तिवारी, उरई।
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कैंसर के इलाज में सिकाई बेहद जरूरी है। अचानक मरीजों के लिए सिकाई सुविधा बंद कर देने नुकसान होगा।
- सुरेंद्रर, आजमगढ़।
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परिवार के सदस्यों के साथ सिकाई के लिए आते हैं। संक्रमण के दौर में मरीजों की परेशानी किसी को नहीं दिखती।
- शकील, हरदोई।
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एकमुश्त पैसा लेने के बाद भी इलाज में लापरवाही करने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं करेगा। मरीजों की आखिर क्या गलती है।
- सरोज, फतेहपुर।