दुश्मन छिपकर नहीं कर सकेंगे वार, दिल की धड़कन से संख्या बता देगा रडार
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड रडार डेवलपमेंट इस्टेबिलिशमेंट बेंगलुरु ने तैयार किया, लड़ाकू विमानों को 200 किमी तक देख सकता है लो वेव ट्रांसपोर्टेबल रडार।
कानपुर (जागरण संवाददाता)। दीवार के पीछे छिपकर दुश्मन धोखे से वार नहीं कर पाएंगे। 20 मीटर दूरी तक दीवारों के पीछे कितने दुश्मन छिपे बैठे हैं, इसका पता 'थू्र वॉल इमेजेज रडार लगाएगा। इलेक्ट्रॉनिक मैगनेटिक तरंगों के जरिए यह दुश्मनों के दिल की धड़कन गिनकर उनकी संख्या बताने में सक्षम है। इलेक्ट्रॉनिक्स एंड रडार डेवलपमेंट इस्टेबिलिशमेंट बेंगलुरु ने सेना के लिए यह रडार तैयार किया है।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मैदान में बुधवार को लगाई गई यूपी डिफेंस एक्सपो में टेक्निकल ऑफिसर निर्मला ने इस रडार के बारे में बताया। एक्सपो में डीआरडीओ, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के अलावा जल, थल व वायु सेना ने अपने स्टॉल लगाए। इसके अलावा सैन्य उपकरणों का निर्माण करने वाले निजी क्षेत्रों को मिलाकर दो सौ से अधिक स्टॉलों पर उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई। डीआरडीओ के तहत काम करने वाली इलेक्ट्रानिक्स एंड रडार डेवलपमेंट इस्टेबिलिशमेंट ने छिपकर वार करने वाले दुश्मनों का पता लगाने के लिए वैपन लोकेशन रडार व एंटी माइन रडार भी तैयार किए हैं।
इसी संस्थान का बनाया गया मीडियम पावर रडार भी प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र रहा। यह काफी ऊंचाई पर उडऩे वाले लड़ाकू विमान को रेडियो तरंगों के जरिए ट्रेस कर सकता है जबकि लो वेव ट्रांसपोर्टेबल रडार करीब में उडऩे दो लड़ाकू विमानों को 200 किमी तक देख सकता है जबकि अभी तक रडार एक निश्चित दूरी में उडऩे वाले लड़ाकू विमानों में एक विमान देखने में सक्षम हैं।
एके-47 की गोली नहीं भेद सकेगी सैनिकों का सीना
डीआरडीओ ने महज साढ़े चार किलोग्राम की एक ऐसी हल्की बुलेटप्रूफ जैकेट बनाई है जो एके-47 की हार्ड स्टील कोर की बुलेट को रोकने में सक्षम है। अभी 14 किलो वजन की जैकेट पहनकर सैनिकों को लडऩा पड़ता है। चारों तरफ से गोलियां चलने पर इसे बढ़ाया जा सकता है पर इसका वजन साढ़े दस किलो ही रहेगा जो पहले की जैकेट के मुकाबले कम है। वैज्ञानिक अरुण मिश्र ने बताया कि 1.86 लाख जैकेट के विक्रय के लिए इसका टेंडर भरा जा रहा है। इसके अलावा संस्थान ने ऐसे एंटी माइन बूट बनाए हैं जो सैनिकों को माइन से सुरक्षित रखेंगे। यह बूट माइन फटने पर 45 हजार बार के झटके को यह 160 बार में बदल देते हैं। सिरेमिक मैटेरियल से बने इन बूट की जोड़ी का वजन तीन किलो है।
रात में भी दुश्मन छिपकर नहीं कर सकेंगे वार
सेना की आंख बनकर रात के अंधेरे में भी दुश्मनों से चौकन्ना रखने वाला नाइट विजन कैमरा डीआरडीओ ने बना लिया है। इसके तहत आने वाले इंस्ट्रूमेंट्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट देहरादून ने चार किमी. तक देखने वाला यह नायाब कैमरा तैयार किया है। कैमरे में पांच सेंसर व नाइट थर्मल इमेजर लगे हैं जो रात के समय बॉर्डर पर निगरानी रखकर प्रत्येक हलचल को देखने में सक्षम हैं। डिफेंस एक्सपो में संस्थान के वैज्ञानिक संजय ने बताया कि रात में यह कैमरे ऐसे काम करते हैं जैसे दिन का वक्त हो।
यह कैमरा जल्द ही सेना के पास होगा। इसका ट्रायल सफल रहा है। संस्थान ने इसके अलावा इंसास रायफल के लिए एक ऐसा होलोग्राम बनाया है जिसमें निशाना साधने की जरूरत नहीं होती। बस होलोग्राम में देखकर गोली चलाई जा सकती है और यह 300 मीटर की दूरी तक सटीक निशाने पर लगेगी। छह महीने में यह तकनीक सेना को मिलेगी।
एमके-2 टैंक देगा लेजर हथियारों को मुंहतोड़ जवाब
कॉम्बेट व्हीकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेबिलिशमेंट आवडि चेन्नई एमके-2 टैंक बना रहा है। इसका परीक्षण पोखरन में किया जा रहा है। यह दुश्मनों के लेजर हथियारों को मुंहतोड़ जवाब देगा। अभी एमके-1 दुश्मनों के दांत खट्टे कर रहा है। यह भी टैंक पर लेजर के हमले को विफल करके यह उन्हें ध्वस्त करने की क्षमता रखता है जबकि एमके-2 चारों दिशाओं में मार करेगा।
लड़ाकू विमान को सुरक्षित उतारेगा ब्रेक पैराशूट
डिफेंस एक्सपो में एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेबिलिशमेंट आगरा ने ब्रेक पैराशूट का मॉडल प्रस्तुत किया। यह उन क्षेत्रों में लड़ाकू विमान को सुरक्षित उतारने में कारगर है जहां एयर स्ट्रिप छोटी होती हैं। यह विमान के नीचे उतरते ही 300 किलोमीटर की रफ्तार में खुल जाता है और उसकी गति धीमी कर देता है। इसके अलावा इस संस्थान ने हैवी ड्रॉप सिस्टम भी बनाया है। यह एक ऐसा पैराशूट है जो विमान से 16 टन वजन के हथियार व अन्य सामग्रियां सैनिकों के बीच उतार सकता है।
नेवी के जहाज पर जाल रोकेगा विमान
एक्सपो में विराज कंपनी ने नेवी के जहाज पर तेज गति से उतरने वाले लड़ाकू विमान को पानी में जाने से रोकने के लिए उपकरण तैयार किया है। इसके कई भागों को जोड़कर एक जाल बुना जा सकता है जो विमान को रोक देता है।
दुश्मनों को छिपकर मार गिराने में कोनोशॉट सक्षम
एक्सपो में आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेबिलिशमेंट पुणे ने एक ऐसी कोनोशॉट गन का डेमो दिया जो यू विजन में 400 मीटर तक मार कर सकती है। इस पर लगे कैमरे में दुश्मनों को देखा जा सकता है। यह 25 मीटर तक वार करने में सक्षम है।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मैदान में बुधवार को लगाई गई यूपी डिफेंस एक्सपो में टेक्निकल ऑफिसर निर्मला ने इस रडार के बारे में बताया। एक्सपो में डीआरडीओ, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के अलावा जल, थल व वायु सेना ने अपने स्टॉल लगाए। इसके अलावा सैन्य उपकरणों का निर्माण करने वाले निजी क्षेत्रों को मिलाकर दो सौ से अधिक स्टॉलों पर उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई। डीआरडीओ के तहत काम करने वाली इलेक्ट्रानिक्स एंड रडार डेवलपमेंट इस्टेबिलिशमेंट ने छिपकर वार करने वाले दुश्मनों का पता लगाने के लिए वैपन लोकेशन रडार व एंटी माइन रडार भी तैयार किए हैं।
इसी संस्थान का बनाया गया मीडियम पावर रडार भी प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र रहा। यह काफी ऊंचाई पर उडऩे वाले लड़ाकू विमान को रेडियो तरंगों के जरिए ट्रेस कर सकता है जबकि लो वेव ट्रांसपोर्टेबल रडार करीब में उडऩे दो लड़ाकू विमानों को 200 किमी तक देख सकता है जबकि अभी तक रडार एक निश्चित दूरी में उडऩे वाले लड़ाकू विमानों में एक विमान देखने में सक्षम हैं।
एके-47 की गोली नहीं भेद सकेगी सैनिकों का सीना
डीआरडीओ ने महज साढ़े चार किलोग्राम की एक ऐसी हल्की बुलेटप्रूफ जैकेट बनाई है जो एके-47 की हार्ड स्टील कोर की बुलेट को रोकने में सक्षम है। अभी 14 किलो वजन की जैकेट पहनकर सैनिकों को लडऩा पड़ता है। चारों तरफ से गोलियां चलने पर इसे बढ़ाया जा सकता है पर इसका वजन साढ़े दस किलो ही रहेगा जो पहले की जैकेट के मुकाबले कम है। वैज्ञानिक अरुण मिश्र ने बताया कि 1.86 लाख जैकेट के विक्रय के लिए इसका टेंडर भरा जा रहा है। इसके अलावा संस्थान ने ऐसे एंटी माइन बूट बनाए हैं जो सैनिकों को माइन से सुरक्षित रखेंगे। यह बूट माइन फटने पर 45 हजार बार के झटके को यह 160 बार में बदल देते हैं। सिरेमिक मैटेरियल से बने इन बूट की जोड़ी का वजन तीन किलो है।
रात में भी दुश्मन छिपकर नहीं कर सकेंगे वार
सेना की आंख बनकर रात के अंधेरे में भी दुश्मनों से चौकन्ना रखने वाला नाइट विजन कैमरा डीआरडीओ ने बना लिया है। इसके तहत आने वाले इंस्ट्रूमेंट्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट देहरादून ने चार किमी. तक देखने वाला यह नायाब कैमरा तैयार किया है। कैमरे में पांच सेंसर व नाइट थर्मल इमेजर लगे हैं जो रात के समय बॉर्डर पर निगरानी रखकर प्रत्येक हलचल को देखने में सक्षम हैं। डिफेंस एक्सपो में संस्थान के वैज्ञानिक संजय ने बताया कि रात में यह कैमरे ऐसे काम करते हैं जैसे दिन का वक्त हो।
यह कैमरा जल्द ही सेना के पास होगा। इसका ट्रायल सफल रहा है। संस्थान ने इसके अलावा इंसास रायफल के लिए एक ऐसा होलोग्राम बनाया है जिसमें निशाना साधने की जरूरत नहीं होती। बस होलोग्राम में देखकर गोली चलाई जा सकती है और यह 300 मीटर की दूरी तक सटीक निशाने पर लगेगी। छह महीने में यह तकनीक सेना को मिलेगी।
एमके-2 टैंक देगा लेजर हथियारों को मुंहतोड़ जवाब
कॉम्बेट व्हीकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेबिलिशमेंट आवडि चेन्नई एमके-2 टैंक बना रहा है। इसका परीक्षण पोखरन में किया जा रहा है। यह दुश्मनों के लेजर हथियारों को मुंहतोड़ जवाब देगा। अभी एमके-1 दुश्मनों के दांत खट्टे कर रहा है। यह भी टैंक पर लेजर के हमले को विफल करके यह उन्हें ध्वस्त करने की क्षमता रखता है जबकि एमके-2 चारों दिशाओं में मार करेगा।
लड़ाकू विमान को सुरक्षित उतारेगा ब्रेक पैराशूट
डिफेंस एक्सपो में एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेबिलिशमेंट आगरा ने ब्रेक पैराशूट का मॉडल प्रस्तुत किया। यह उन क्षेत्रों में लड़ाकू विमान को सुरक्षित उतारने में कारगर है जहां एयर स्ट्रिप छोटी होती हैं। यह विमान के नीचे उतरते ही 300 किलोमीटर की रफ्तार में खुल जाता है और उसकी गति धीमी कर देता है। इसके अलावा इस संस्थान ने हैवी ड्रॉप सिस्टम भी बनाया है। यह एक ऐसा पैराशूट है जो विमान से 16 टन वजन के हथियार व अन्य सामग्रियां सैनिकों के बीच उतार सकता है।
नेवी के जहाज पर जाल रोकेगा विमान
एक्सपो में विराज कंपनी ने नेवी के जहाज पर तेज गति से उतरने वाले लड़ाकू विमान को पानी में जाने से रोकने के लिए उपकरण तैयार किया है। इसके कई भागों को जोड़कर एक जाल बुना जा सकता है जो विमान को रोक देता है।
दुश्मनों को छिपकर मार गिराने में कोनोशॉट सक्षम
एक्सपो में आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेबिलिशमेंट पुणे ने एक ऐसी कोनोशॉट गन का डेमो दिया जो यू विजन में 400 मीटर तक मार कर सकती है। इस पर लगे कैमरे में दुश्मनों को देखा जा सकता है। यह 25 मीटर तक वार करने में सक्षम है।