सीएए पर जागरूक नहीं कर पाई सरकार, विध्वंसात्मक विरोध से हो रहा देश का नुकसान Kanpur News

जागरण विमर्श में प्रोफेसर आकांक्षा गौर ने कहा कि अधिनियम को लेकर दिए जा रहे तर्क पूरी तरह निराधार।

By AbhishekEdited By: Publish:Mon, 23 Dec 2019 10:02 PM (IST) Updated:Mon, 23 Dec 2019 10:02 PM (IST)
सीएए पर जागरूक नहीं कर पाई सरकार, विध्वंसात्मक विरोध से हो रहा देश का नुकसान Kanpur News
सीएए पर जागरूक नहीं कर पाई सरकार, विध्वंसात्मक विरोध से हो रहा देश का नुकसान Kanpur News

कानपुर, [जागरण स्पेशल]। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का जो भी विरोध हो वह रचनात्मक होना चाहिए। विध्वंसात्मक विरोध नुकसान ही कराता है। इससे कहीं न कहीं देश का ही नुकसान हो रहा है। यह बात सोमवार को जागरण विमर्श में आचार्य नरेंद्र देव महिला महाविद्यालय की राजनीति विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर आकांक्षा गौर ने 'नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध कितना जायज है'? विषय पर बोलते हुए कही।

नागरिकता के तहत ही मिलते कई अधिकार

उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि सरकार को यह मालूम होना चाहिए कि देश में जो लोग रह रहे हैं, वे कहां-कहां के हैं। नागरिकता के तहत ही कई अधिकार भी मिलते हैं। कहा कि हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् की है। ऐसे में अधिनियम को लेकर जो तर्क किए जा रहे हैं वे निराधार हैं। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर बोलीं, जो लोग विरोध कर रहे हैं, उन्हें समझना चाहिए कि यह मामला अभी प्रक्रियागत है।

असम में भरे हुए हैं बांग्लादेश के घुसपैठिए

असम में बांग्लादेश के घुसपैठिए भरे हुए हैं। उन्होंने वहां की स्थितियों को पूरी तरह बदल दिया है। वहां के पूरे कारोबार पर उनका कब्जा हो गया है। इसलिए वहां की स्थिति पूरे देश से बिल्कुल अलग है। वहां के लिए एनआरसी के जो नियम होंगे, वे बाकी देश के नहीं होंगे। कुछ सामान्य कागजों को दिखाकर अपनी नागरिकता सिद्ध की जा सकेगी। हालांकि पूरी तरह से तस्वीर साफ होने में अभी समय लगेगा। इसके लिए इंतजार करना बेहतर होगा और फिर अगर किसी तरह की दिक्कत है तो सरकार को सुझाव भेजे जा सकते हैं।

अनुच्छेद-14 के उल्लंघन की हो रही चर्चा

डॉ. आकांक्षा ने कहा इस अधिनियम को लेकर लोग यह चर्चा कर रहे हैं कि कहीं न कहीं अनुच्छेद-14 का उल्लंघन किया जा रहा है। हालांकि ऐसा नहीं है। अनुच्छेद-14 मौलिक अधिकारों की श्रेणी में आता है।

जागरुकता को लेकर हुई चूक

नागरिकता संशोधन अधिनियम की जागरुकता को लेकर केंद्र सरकार से चूक हुई। सरकार अगर पहले से लोगों को इसके प्रति जागरूक करती तो लोगों को समझ में आता और विरोध प्रदर्शन कम होता।  

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