आत्मनिर्भर निधि के तहत नहीं मिल पा रहा लोन, भटकने को विवश हुए वेंडर्स

15425 लोगों को 24 नवंबर तक हर हाल में उपलब्ध करा देना का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। बैंकों ने वैसे तो 13470 वेंडर्स के लोन स्वीकृत कर दिए लेकिन जब देने की बात आई उन्होंने 10898 लोगों को ही ऋण दिया।

By ShaswatgEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 12:51 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 12:51 PM (IST)
आत्मनिर्भर निधि के तहत नहीं मिल पा रहा लोन, भटकने को विवश हुए वेंडर्स
3000 लोग हैं जिनके लोन स्वीकृत हैं।

कानपुर, जेएनएन। प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि के तहत वेंडरों को 10हजार रुपये की आॢथक मदद देने के मामले में बैंकर्स और दिलाने के मामले में जिला नगरीय विकास अभिकरण के अवसर लापरवाही बरत रहे हैं। स्थिति यह है कि 24 नवंबर तक 15425 लोगों को योजना के तहत 10 हजार की वित्तीय मदद मिल जानी चाहिए थी, लेकिन सिर्फ 10898 वेंडर ही लोन पा सके। योजना का प्रचार तो काफी जोरों से किया गया था, लेकिन लोन दिलाने और देने के मामले में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई गई।

माइक्रो क्रेडिट स्कीम के तहत 10 हजार रुपये का लोन देना था

कोरोना काल में आॢथक रूप से परेशान वेंडर्स को अपना रोजगार पुन: शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि के तहत योजना शुरू की थी। स्ट्रीट वेंडर्स के लिए एक विशेष माइक्रो क्रेडिट स्कीम के तहत 10 हजार रुपये का लोन देना था। यदि वेंडर्स यह राशि समय पर जमा कर देंगे तो उन्हेंं 7त्न ब्याज की सब्सिडी मिलेगी। इसके साथ ही अगली बार लोन लेने जाएंगे तो आसानी से उन्हेंं बड़ा लोन मिल सकेगा। इतना ही नहीं डिजिटल लेनदेन पर साल भर में 12 सो रुपये का कैश बैक भी बैंक की ओर से दिया जाना है।

10898 लोगों को मिला ऋण, स्वीकृत लोन वाले भटक रहे 

 योजना के तहत वित्तीय मदद दिलाने के लिए नगर निगम और नगरीय विकास अभिकरण ने सड़क किनारे ठेला ,रेहड़ी लगाने वालों को चिन्हित किया । 28260 वेंडर्स का पंजीकरण किया और फिर उन्हेंं लोन लेने के लिए प्रेरित किया। 15,425 लोगों को 24 नवंबर तक हर हाल में उपलब्ध करा देना का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। बैंकों ने वैसे तो 13470 वेंडर्स के लोन स्वीकृत कर दिए लेकिन जब देने की बात आई उन्होंने 10898 लोगों को ही ऋण दिया। जिनके लोन स्वीकृत हैं वे भटक रहे हैं। लोन कब मिलेगा मुश्किल है। अफरोज जहां, भानु,  राजेंद्र कुमार, गुलाब चंद्र, अलका देवी, विशाल, शिवम, अनुराग सिंह और सबिया खातून, सुभाष कुशवाहा जैसे 3000 लोग हैं जिनके लोन स्वीकृत हैं। इसके बाद भी कभी नगर निगम तो कभी बैंक के चक्कर लगा रहे हैं। इस संबंध में डूडा के परियोजना अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा का कहना है कि उन्होंने तमाम कोशिश की लोग ऋण लेने को तैयार नहीं है।

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