36 साल बाद खून के निशां और स्याह दीवारों ने दी कत्ल की गवाही, कानपुर पुलिस को मिले साक्ष्य
दंगे के समय किदवईनगर के ब्लॉक स्थित एक घर में दो सिखों की हत्या और आगजनी की घटना हुई थी। पुलिस के साथ फॉरेंसिक टीम को इमारत के एक कमरे में अहम सुराग हाथ लगे हैं जिसे विवेचना में शामिल किया जाएगा।
कानपुर, [चंद्र प्रकाश गुप्ता]। सुबूत कभी मरते नहीं और कानून के लंबे हाथों से कोई बच नहीं सकता। सिख विरोधी दंगे के 36 साल बाद मकान के फर्श पर मिले खून के निशां और दीवारों पर मिली कालिख ने कत्ल और आगजनी की गवाही दी है। किदवईनगर के.ब्लॉक में सरदार पुरुषोत्तम सिंह के भाई सरदूल सिंह और एक सेवादार गुरदयाल सिंह की हत्या के मामले में दो दिन पूर्व फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल की जांच की तो अहम सुराग मिले। हालांकि एक कमरे को छोड़कर बाकी पूरी इमारत का रंगरोगन हो चुका था। जिस कमरे को छोड़ा गया था, उसी में पुलिस को वारदात के सुबूत मिले।
नौबस्ता थानाक्षेत्र के किदवईनगर के. ब्लॉक स्थित मकान नंबर 128/709 में एक नवंबर-1984 की सुबह वारदात हुई थी। मकान के भूतल में छोटा सा गुरुद्वारा था। दंगाइयों ने अचानक हमला बोलकर भवन में रहने वालों को पीटना शुरू कर दिया था। गुरुमुख, उनके बेटे पुरुषोत्तम व सर्वजीत परिवार की महिलाओं को लेकर पड़ोस की छत के रास्ते निकले, लेकिन गुरुमुख का सबसे छोटा बेटा सरदूल और एक सेवादार गुरदयाल सिंह अंदर ही फंस गए थे। दंगाइयों ने पहली मंजिल पर जाकर सरदुल व गुरदयाल को लाठी-डंडे व लोहे की रॉड से बेरहमी से पीटा और कमरे में आग लगा दी। इसके बाद दोनों को बाहर तिराहे पर लाकर रजाई-गद्दों में लपेटकर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी थी।
डेढ़ माह पूर्व जालंधर (पंजाब) में पीडि़त परिवार के बयान लेने के बाद दो दिन पूर्व एसआइटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) ने फॉरेंसिक टीम बुलाकर घटनास्थल की जांच कराई। इसमें पुलिस को पहली मंजिल स्थित एक कमरे की दीवारों व छत पर कालिख (कार्बन के कण) मिली और बेंजीडीन टेस्ट में कमरे की फर्श पर मनुष्य के खून के निशान मिले। एसआइटी इस जांच रिपोर्ट को भी विवेचना में शामिल करेगी।
किदवईनगर के ब्लॉक के घर में हुई हत्या की वारदात में फॉरेंसिक टीम से जांच कराई गई तो एक कमरे में खून के निशान और छत व कमरों की दीवारों पर कालिख मिली है। ये घटना और घटनास्थल के बारे में बताने के लिए काफी हैं। फॉरेंसिक टीम की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। - बालेंदु भूषण, एसपी एसआइटीफर्श साफ होने के बाद भी सुरक्षित रहे रक्त के अवयव
जिस कमरे में सरदूल व सेवादार को पीटा गया था। वहां की फर्श बाद में साफ करा दी गई थी। इसके बावजूद रक्त के अवयव मौजूद रहे। फॉरेंसिक एक्सपर्ट के मुताबिक रक्त के हीमोग्लोबिन में मौजूद प्रोटीन सूखने के बाद कई बार धुलाई करने पर भी साफ नहीं हो पाता। जब हाइड्रोजन परॉक्साइड व बेंजीन पाउडर की उससे प्रतिक्रिया कराई जाती है तो वह नीला रंग देता है। इससे साबित हो जाता है कि संबंधित स्थान पर मानव रक्त था। हालांकि रक्त किसका था? इस बात का पता नहीं लग पाता। इसके लिए डीएनए टेस्ट ही एकमात्र सहारा है।