पुलिस आयुक्त ने जागरुकता रैली को झंडी दिखाकर किया रवाना
जेएनएन कानपुर अग्नि सुरक्षा सप्ताह में जितना अधिक से अधिक हम लोगों को आग से बचाव के बारे में जानकारी दी जाए उतना बेहतर है।
जेएनएन, कानपुर : अग्नि सुरक्षा सप्ताह में जितना अधिक से अधिक हम लोगों को आग से बचाव के बारे में जागरुक करेंगे, वही वर्ष 1944 में मुंबई के बंदरगाह में शहीद हुए दमकल जवानों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। यह बात बुधवार को अग्निशमन सेवा स्मृति दिवस के शुभारंभ अवसर पर पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने कहीं।
इस दौरान उन्होंने शहीद हुए जवानों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके बाद उन्होंने कैंप कार्यालय से हरी झंडी दिखाकर अग्निशमन जागरूकता रैली के वाहनों को रवाना किया। लाटूश रोड फायर स्टेशन के अग्निशमन अधिकारी सुरेंद्र चौबे ने बताया कि 14 से 20 अप्रैल तक अग्निशमन सेवा सप्ताह मनाया जाएगा। इस बार कार्यक्रम की थीम 'अग्नि सुरक्षा उपकरणों का रखरखाव आग के खतरों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है' पर आयोजित किया जाएगा। इससे पूर्व मुख्य अतिथि पुलिस आयुक्त ने जागरूकता के लिए पंपलेट का विमोचन कर वितरण कराया। उन्होंने बताया कि कैंप कार्यालय से निकलने के बाद वाहनों से लोगों को जागरुक किया। इस दौरान फजलगंज फायर स्टेशन के अग्निशमन अधिकारी ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। जिसमें उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में शहर में कुल 868 अग्निकांड और 393 रेस्क्यू आपरेशन किए गए। जिसमें 19 लोगों और 344 पशुओं को दमकल जवानों ने सुरक्षित बचाया है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी एमपी सिंह ने बताया कि शहर में फजलगंज, कर्नलगंज, लाटूश रोड, मीरपुर, जाजमऊ, घाटमपुर व बिल्हौर संचालित हैं। बिकरू कांड के वृहद दंड के आरोपितों की जांच अधर में, कानपुर : चर्चित बिकरू कांड में दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए अलग-अलग पुलिस अधिकारी जांच कर रहे थे। वृहद दंड वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ तत्कालीन एसपी साउथ दीपक भूकर जांच कर रहे थे। शहर में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद जांच अधर में लटक गई है। दूसरे अधिकारी के नाम विवेचना का आवंटन न होने से जांच एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी है। बिकरू कांड में गठित हुई एसआइटी की जांच में 37 पुलिसकर्मियों को दोषी पाया गया था। इसमें सात वृहद दंड वाले निलंबित आरोपितों में थाना प्रभारी विनय तिवारी, दारोगा कृष्ण कुमार, अजहर अशरत, विश्वनाथ मिश्र, कुंवरपाल सिंह, कांस्टेबल अभिषेक कुमार व राजीव कुमार शामिल हैं। दीपक भूकर ने जांच करते हुए सभी आरोपितों को चार्जशीट दी थी। इसमें सिपाहियों और अन्य पुलिस कर्मियों ने अपने जवाब दाखिल किए थे। जबकि, कृष्ण कुमार ने पर्याप्त दस्तावेज और साधन न होने के चलते जमानत पर छूटने के बाद जवाब देने का पत्र भेजा था। इस पर तत्कालीन एसपी साउथ ने अभियोजन अधिकारी और संयुक्त निदेशक अभियोजन से पत्राचार कर आगे की कार्रवाई के लिए विधिक राय मांगी थी। उसके बाद पुलिस क कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने से जांच पर ब्रेक लग गया। पुलिस की जांच एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी है। वहीं, एडीसीपी अपराध दीपक भूकर ने कहा कि पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद दायित्व भी बदले हैं। ऐसे में इस मामले की जांच किसे आवंटित होनी है इसकी जानकारी नहीं है। उच्चाधिकारियों के आदेश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।