कानपुर में इंश्योरेंस के प्रीमियम में छूट का झांसा देकर रकम हड़पने वाला गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ा

जिसके बाद भुगतान को शिवम हैंडल करता था। शातिर एनईएफटी आरटीजीएस के जरिए भुगतान कराते थे। शातिरों ने इसी तरह बर्रा के एक युवक के साथ 51 हजार रुपये की ठगी की थी। जिसकी पड़ताल क्राइम ब्रांच कर रही थी।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 10:25 AM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 05:36 PM (IST)
कानपुर में इंश्योरेंस के प्रीमियम में छूट का झांसा देकर रकम हड़पने वाला गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ा
आशीष पहले गूगल पे के लिए बार कोड बांटने का काम करता था

कानपुर, जेएनएन। बीमा धारकों को प्रीमियम में छूट का झांसा देकर लोगों से ठगी करने वाला गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ गया है। क्राइम ब्रांच और बर्रा पुलिस की संयुक्त टीम ने बर्रा से गिरोह के छह सदस्यों को दबोचा है। पकड़े गए आरोपितों के पास से बड़ी संख्या में डेविड कार्ड, बीमा धारकों का डाटा, 15 से अधिक मोबाइल चार्जर, कई मोबाइल समेत अन्य सामान बरामद किया है। इसमें डलमऊ रायबरेली निवासी वरुण और करन सगे भाई हैं। इनके साथी उत्तम नगर दिल्ली निवासी करन शर्मा, वहीं का आमन, दिल्ली निवासी आशीष कनौजिया, इटावा निवासी शिवम उर्फ फई हैं। गिरोह में सभी के अलग-अलग काम थे। आशीष पहले गूगल पे के लिए बार कोड बांटने का काम करता था।

ऐसे फंसाते थे शिकार : शातिर जस्ट डायल साइड पर जाकर इंश्योरेंस कंपनी के वेंडरों का नंबर मांगते थे। वेंडरों का नंबर मिलने के बाद उनसे संपर्क करके विभिन्न कंपनियों के बीमा धारकों का डिटेल खरीदते थे। एक व्यक्ति का नाम, पता, मोबाइल नंबर, अल्टरनेट नंबर और पॉलिसी की डिटेल का एक रुपये वेंडर को भुगतान करते थे। डाटा के आधार पर लोगों को फोन करके उनका नाम, मोबाइल नंबर और पॉलिसी की जानकारी देते थे तो लोग कंपनी प्रतिनिधि समझकर जानकारी आसानी से शेयर करते थे। आरोपित जन्मतिथि पूछने के बाद संबंधित कंपनी की वेबसाइट के जरिए उनकी पालिसी खोल लेते थे और जिनका प्रीमियम भुगतान नहीं होता था उनको दस फीसद कमीशन की छूट का लालच देकर भुगतान के लिए तैयार करा लेते थे। इसके बाद भुगतान के संबंध में अकाउंट सेक्शन में बात करने का झांसा देते थे। जिसके बाद भुगतान को शिवम हैंडल करता था। शातिर एनईएफटी, आरटीजीएस के जरिए भुगतान कराते थे। शातिरों ने इसी तरह बर्रा के एक युवक के साथ 51 हजार रुपये की ठगी की थी। जिसकी पड़ताल क्राइम ब्रांच कर रही थी। छानबीन में गिरोह के सदस्य हाथ आये। यह गिरोह लगातार 2019 से इस काम को अंजाम दे रहा था। अब तक तीन से चार करोड़ यह गिरोह कमा चुका है।

25 से 30 हजार में खरीदते थे अकाउंट : ठग गिरोह के शातिर सदस्य लोगों को रुपये का लालच देकर 25-30 हजार में दो से तीन अकाउंट खरीदते थे। उनमें रुपये मंगाने के बाद शातिर एटीएम के जरिए खाते से रुपये निकालते थे। एटीएम के साथ ही शातिर पेट्रोल पंप पर कार्ड स्वाइप कराकर नकदी लेते थे। दस हजार के लिए कार्ड स्वाइप कराते थे तो एक हजार रुपये पेट्रोल पंप के कर्मचारी को देते थे। शातिरों के फर्रूखाबाद के एक युवक का खाता खरीदने की जानकारी हुई है।

चार से पांच सौ रुपये में खरीदते थे सिमकार्ड : ठग गिरोह के सदस्य कालिंग के लिए चार से पांच सौ रुपये में विभिन्न कंपनियों के प्रीएक्टीवेटेड सिमकार्ड खरीदते थे। जो को फेक आइडी पर एक्टीवेट होते थे। आरोपितों के पास से बड़ी संख्या में सिमकार्ड बरामद हुए हैं। पूछताछ में सामने आया है कि शातिरों ने अधिकांश सिमकार्ड लखनऊ से खरीदे हैं।

इनका ये है कहना साइबर ठगी करने वाले गिरोह के कुछ सदस्य पकड़े गए हैं। मामले में आरोपितों से अभी पूछताछ की जा रही है। - सलमान ताज पाटिल, डीसीपी अपराध  

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