फतेहपुर में एक फार्मासिस्ट ने बीमारों का दर्द देखा तो उससे रहा न गया और सांस देने का बनाया ऐसा जुगाड़

इस दौर में भी समर्पण भाव से काम कर रहे हैं। सीएचसी बिंदकी में इन दिनों ऑक्सीजन की कमी वाले बीमार भर्ती हो रहे हैं। कई बीमारों को ऑक्सीजन के लिए इंतजार करना पड़ता है क्योंकि सीएचसी में ऑक्सीजन सिलिंडर तो ११ हैं पर रेगुलेटर सिर्फ दो हैं।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 07:12 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 07:12 PM (IST)
फतेहपुर में एक फार्मासिस्ट ने बीमारों का दर्द देखा तो उससे रहा न गया और सांस देने का बनाया ऐसा जुगाड़
गैस सिलिंडर रेगुलेटर को दिखाते बिंदकी सीएचसी के फर्मासिस्ट रमाकांत उमराव

कानपुर, जेएनएन। कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी है। कोरोना के दौर में उपकरण कम पड़े तो मरीजों को 'जुगाड़ ' से सांसें देना का तरीका बिंदकी सीएचसी में तैनात फार्मासिस्ट रमाकांत उमराव ने निकाल लिया। क्योंकि, यहां ऑक्सीजन सिलिंडर तो हैैं, लेकिन इसमें प्रयोग होना वाला रेगुलेटर की कमी है। इस समस्या को खत्म करने के लिए फ्रंट लाइन वर्कर ने 'जुगाड़ '  का रास्ता अपनाया और दो मरीजों की उखड़ती सांसों में ' दम ' भर दिया। 

सीएचसी के चिकित्साकर्मी कोरोना के इस दौर में भी समर्पण भाव से काम कर रहे हैं। सीएचसी बिंदकी में इन दिनों ऑक्सीजन की कमी वाले बीमार भर्ती हो रहे हैं। कई बीमारों को ऑक्सीजन के लिए इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि सीएचसी में ऑक्सीजन सिलिंडर तो ११ हैं, पर रेगुलेटर सिर्फ दो हैं। इस कारण रेगुलेटर के बिना बीमार को ऑक्सीजन नहीं दी सकती है। यह देखकर सीएचसी में तैनात फार्मेसिस्ट रमाकांत उमराव को बीमारों का यह दर्द देख नहीं पाए। इसी दौरान उन्हें जुगाड़ का रेगुलेटर बना बीमार को ऑक्सीजन देने का एक वीडियो मिल गया। इस वीडियो को कई बार देखने के बाद उन्होंने जुगाड़ का रेगुलेटर बनाना शुरू किया। वीडियो में जो रेगुलेटर बना है वह सीधी ऑक्सीजन सिलिंडर से सूखी ऑक्सीजन देने की बात थी, लेकिन फार्मासिस्ट ने इसमें थोड़ा सुधार कर ऑक्सीजन सिलिंडर से ट्यूब के सहारे ऑक्सीजन को पहले पानी भरी बोतल में उतारा, फिर दूसरी ट्यूब से बीमार को ऑक्सीजन दी। इससे ऑक्सीजन में हल्की नमी आ गई और बीमार को आधे घंटे में ही राहत महसूस होने लगी।   केस-1 : गुरुवार को सीएचसी में ६० वर्षीय कमलेश कुमारी इमरजेंसी में भर्ती हुई थी। उनको तत्काल ऑक्सीजन की जरूरत थी। पहले से ही दो लोगों को ऑक्सीजन लगी थी। इस पर फार्मासिस्ट रमाकांत ने इन्हें जुगाड़ के रेगुलेटर से ऑक्सीजन दी और इनकी उखड़ती सांसें सामान्य हो गईं। केस-२ : बिंदकी नगर के रोहित कुमार को बीमार पडऩे पर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी। सीएचसी में आने के बाद पता चला दो बीमारों को पहले से ऑक्सीजन लगी हुई है। इस पर फार्मासिस्ट ने जुगाड़ के रेगुलेटर वाला ऑक्सीजन सिलिंडर लाए और युवक को ऑक्सीजन दी। ३० मिनट के अंदर युवक की उखड़ रही सांसें सामान्य हो गईं।

ऐसे बना जुगाड़ का रेगुलेटर : ऑक्सीजन सिलिंडर  को रेगुलेटर बनाने वाले फार्मासिस्ट रमाकांत उमराव बताते हैं कि ग्लूकोज वाले कांच की सीसी और दो रायल्स ट्यूब  (वह नली जिससे किसी के भी जहर खाने के बाद पेट में डाली जाती है) उसे लेना है। एक नली को ऑक्सीजन सिलिंडर में लगाकर कांच की सीसी के ढक्कन से अंदर डालना है।

इस सीसी को आधा पानी से भरना है फिर पाइप पानी में डुबो देना है। दूसरी नली को भी बोतल में डालना है, पर यह पानी में नहीं छूनी चाहिए। सिलिंडर से जब ऑक्सीजन बोतल के पानी में आएगी। इससे उसमें थोड़ी आद्रता आ जाएगी। इसके बाद दूसरी नली से बाहर निकलेगी। उस नली को मरीज के मुंह में मास्क के अंदर डाल दें। इससे उसके सांस के साथ ऑक्सीजन अंदर पहुंचने लगेगी।

पानी से गुजारना इसलिए है जरूरी : ऑक्सीजन को पानी से गुजारना जरूरी है, क्योंकि सिलिंडर से सीधे ऑक्सीजन देने से ब्लीडिंग होने का खतरा है। इससे बीमार की जान भी जा सकती है। पानी से गुजरने क बाद ऑक्सीजन में आद्रता आ जाती है। इससे कोई खतरा नहीं है।   

इनका ये है कहना

ऑक्सीजन सिलिंडर में लगने वाले रेगुलेटर का संकट था। इस पर जुगाड़ का रेगुलेटर फार्मासिस्ट रमाकांत उमराव ने बनाया है। यह प्रयोग सही रहा। काम भी कर रहा है।

                                                         डॉ. सुनील चौरसिया प्रभारी चिकित्साधिकारी सीएचसी बिंदकी 

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