फर्जी काल सेंटर के मास्टरमाइंड से पासपोर्ट व पेनड्राइव बरामद

काकादेव में फर्जी अंतरराष्ट्रीय काल सेंटर चलाकर अमेरिकी नागरिकों से खातों में मंगाते थे पैसा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 02:07 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 02:07 AM (IST)
फर्जी काल सेंटर के मास्टरमाइंड से पासपोर्ट व पेनड्राइव बरामद
फर्जी काल सेंटर के मास्टरमाइंड से पासपोर्ट व पेनड्राइव बरामद

जागरण संवाददाता, कानपुर : काकादेव में फर्जी अंतरराष्ट्रीय काल सेंटर चलाकर अमेरिकी नागरिकों से करोड़ों की ठगी करने वाले मुख्य आरोपित जसराज सिंह को रिमाड पर दिल्ली ले जाकर पुलिस ने पासपोर्ट व पेन ड्राइव बरामद की है। 50 जीबी की इस पेन ड्राइव में आरोपित की चारों कंपनियों के विभिन्न खातों, उनमें लेनदेन का ब्योरा, अन्य काल सेंटरों व उनके कर्मचारियों के बारे में पूरी जानकारी मौजूद है।

पुलिस ने बीस दिन दिन पूर्व काकादेव में अंतरराष्ट्रीय काल सेंटर का राजफाश किया था। मौके से संचालक नोएडा सेक्टर 25 के मोहिंद्र शर्मा, उसके साथी जिकरुल्ला, संजीव गुप्ता व सूरज सुमन को गिरफ्तार कर 27 कंप्यूटरों की हार्डडिस्क व अन्य उपकरण बरामद किए थे। जाच में सामने आया था कि आरोपित अमेरिकी लोगों के कंप्यूटर मालवेयर वायरस भेजकर हैक करते और तकनीकी सपोर्ट देने का झासा देकर खातों में पैसे जमा कराते थे। एक वर्ष में करीब 22 हजार लोगों से नौ करोड़ रुपये से ज्यादा ठगे थे। 20 जुलाई को पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड जसराज को भी जेल भेजा था। बुधवार सुबह जसराज को 48 घटे की रिमाड पर लेकर क्राइम ब्राच दिल्ली पहुंची। जहा आरोपित की कपड़ा फर्म जेआरएस हाट कोचर से पुलिस ने उसका पासपोर्ट व पेन ड्राइव बरामद की। रात में पेन ड्राइव को ओपन करके देखा गया तो उसमें उन विदेशी नागरिकों का ब्योरा मिला, जिन्होंने ठगी का शिकार होने के बाद खातों में रकम जमा की थी। यही नहीं, नई दिल्ली, नोएडा व गुरुग्राम में स्थित कुछ और काल सेंटरों से भी आरोपित के संपर्क सामने आए। उसके स्वजन से पूछताछ की गई, लेकिन उन्होंने आरोपित के कामकाज की जानकारी से इन्कार किया। देर शाम टीम जसराज को वापस लाई और जेल में दाखिल कर दिया।

डीसीपी क्राइम सलमान ताज पाटिल ने बताया कि पासपोर्ट की जाच में पता लगा है कि जसराज एक बार दुबई गया था। इसके अलावा उसकी कंपनियों के खातों की जाच से पता लगा कि उसका कनाडा, दुबई, अमेरिका आदि देशों में कपड़ों का आनलाइन कारोबार था। जिन अमेरिकी खातों में आरोपित ने पीड़ितों से रकम जमा कराई थी, उनका ब्योरा अभी नहीं मिला है।

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