Parivarik Labh Yojna Scam: बेटे की मृत्यु पर लिया अनुदान, दोबारा जांच में लगाए गए 45 अधिकारी

पारिवारिक लाभ योजना के घोटाले में 45 अधिकारियों ने दोबारा जांच शुरू कर दी है और बुधवार तक रिपोर्ट की उम्मीद है। पहले की जांच के आधार पर लेखपाल निलंबित किए गए थे और अब जांच में कई और दोषी सामने आ रहे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 09:59 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 09:59 AM (IST)
Parivarik Labh Yojna Scam: बेटे की मृत्यु पर लिया अनुदान, दोबारा जांच में लगाए गए 45 अधिकारी
कानपुर पारिवारिक लाभ योजना में घोटाले की जांच।

कानपुर, जेएनएन। दादानगर निवासी अंजू देवी के बेटे सौरभ की मृत्यु हो गई थी। सौरभ ही घर में कमाऊ सदस्य थे। अंजू ने पारिवारिक लाभ योजना के तहत फार्म भरा। 30 हजार रुपये की वित्तीय मदद उन्हें मिल भी गई, लेकिन शादी अनुदान व पारिवारिक लाभ योजना के घोटाले की जांच हुई तो अंजू देवी को जांच अधिकारी ने अपात्र बता दिया। अपनी रिपोर्ट में बेटे की मौत का जिक्र ही नहीं किया और यह लिख दिया कि पति के जीवित होने के बाद भी लाभ लिया गया, इसलिए लाभार्थी अपात्र है। अंजू के पति बीमार हैं और बेटा ही कमाऊ सदस्य था, इसलिए लाभ लेना गलत नहीं था। ऐसे ही कई मामले हैं जिनमें जांच अधिकारियों ने जो पात्र थे उन्हें अपात्र घोषित कर दिया।

Case-1 : कुली बाजार निवासी सत्तन जहां ने पति की मृत्यु पर पारिवारिक लाभ योजना का लाभ लिया था। योजना का लाभ लेने के दो माह बाद सत्तन जहां की मृत्यु हो गई थी, लेकिन जब जांच अधिकारी ने जांच की तो कह दिया कि आवेदिका की मृत्यु हो चुकी है और उसे अपात्र घोषित कर दिया।

Case-2 : घाटमपुर के जवाहरनगर पूर्वी निवासी अकील अहमद के आश्रितों को भी 30 हजार रुपये की वित्तीय मदद मिली थी, लेकिन जांच अधिकारी ने उन्हें भी अपात्र कह दिया और जो तर्क दिया एक नजर में ही खारिज होने वाला है, क्योंकि जांच अधिकारी ने उन्हें शादी अनुदान का लाभार्थी बताकर अपात्र बताया।

Case-3 : सचेंडी की राधिका को भी पारिवारिक लाभ योजना का अपात्र बताया है। राधिका को पति की मौत पर आर्थिक मदद मिली थी। पति को 60 वर्ष से अधिक उम्र का बताकर राधिका को अपात्र बताया गया है। अब राधिका ने जो प्रमाण पत्र दिए हैं उनमें पति की उम्र 60 वर्ष से कम है, ऐसे में उन्हें पात्र माना गया है।

पारिवारिक लाभ योजना में 18 से 60 साल के बीच की उम्र के किसी कमाऊ सदस्य की मृत्यु होती है तो उसके आश्रित को 30 हजार रुपये की वित्तीय मदद मिलती है, लेकिन जिन्हें जांच अधिकारी बनाया गया, उन्होंने योजना की पात्रता को समझा ही नहीं और जिसे चाहा उसे पात्र और अपात्र बता दिया। फिर से जांच कराई जा रही है, जिसके लिए 45 अधिकारी लगाए गए हैं। उम्मीद है कि वास्तव में जो अपात्र होंगे उनका नाम सामने आएगा। फिलहाल पहले की जांच आधार पर ही लेखपालों को निलंबित किया गया है। अब इस रिपोर्ट के आने के बाद वे लेखपाल बहाल हो जाएंगे जिनके लाभार्थियों को गलत तरीके से अपात्र बताया गया है। दोबारा हो रही जांच की रिपोर्ट बुधवार तक आने की उम्मीद है।

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