UP Panchayat Chunav: विशेष किस्म की मतपेटियों में कैद होगा प्रत्याशियों का भविष्य, Transparency बनाए रखने को उठाया गया कदम
उद्यमी ने बताया कि अब तक 80 हजार मतपेटियों को तैयार करके भेजा जा चुका है। अगले 10 दिन में बाकी मतपेटियों को भी भेज दिया जाएगा। वर्ष 2015 में भी राज्य निर्वाचन आयोग को एक लाख 50 हजार मतपेटियों की आपूर्ति की थी।
कानपुर, जेएनएन। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए ऐसी मतपेटियां तैयार कराई गई हैैं जिनका स्प्रिंग लॉक सिस्टम एक बार बंद हुआ तो फिर अफसरों की मर्जी से ही खुलेगा। साढ़े आठ किलो लोहे से एक पेटी तैयार हुई है और इसमें वेल्डिंग का इस्तेमाल न के बराबर हुआ है। चुनाव आयोग ने पनकी स्थित विश्वा ट्रेडर्ज के निदेशक व उद्यमी अमित अग्रवाल को 90 हजार मतपेटियों का ऑर्डर किया था। इसमें 80 हजार आपूॢत की जा चुकी है जबकि 10 हजार का निर्माण चल रहा है।
अगले 10 दिन में भेज देंगे सभी मतपेटियां
उद्यमी ने बताया कि अब तक 80 हजार मतपेटियों को तैयार करके भेजा जा चुका है। अगले 10 दिन में बाकी मतपेटियों को भी भेज दिया जाएगा। वर्ष 2015 में भी राज्य निर्वाचन आयोग को एक लाख 50 हजार मतपेटियों की आपूर्ति की थी।
स्टील शीट और कच्चे माल की रही दिक्कत
उद्यमी अमित अग्रवाल ने बताया कि मतपेटियां बनाने के लिए कोरोना काल में स्टील शीट नहीं मिल रहीं थीं। शीट और कच्चा माल नहीं मिलने के कारण उत्पाद बनने में कुछ देरी हुई। स्टील शीट व दूसरे कच्चे माल के दाम अचानक बढऩे से भी काफी दिक्कत हुई। समय पर कच्चा माल मिलता रहता तो मतपेटियों का निर्माण निर्धारित समय में ही पूरा हो जाता।
बना चुके हिम तापक बुखारी
उद्यमी अमित ने बताया कि मतपेटियों से पहले वो सेना के लिए हिम तापक बुखारी का भी निर्माण कर चुके हैं। इसके जरिए सियाचिन और लद्दाख की पहाडिय़ों में माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी सैनिकों के बंकर गर्म बने रहते हैं।
ये हैं मतपेटियों की विशेषता
भारतीय निर्वाचन आयोग की ओर से मतपेटियों की डिजाइन का नमूना स्वीकृत होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने शहर के उद्यमी को यह ऑर्डर दिया है। प्रत्येक मतपेटी में एक यूनिक नंबर अंकित किया गया है, जिससे ये निश्चित होगा कि कौन सी मतपेटी किस जिले में जाएगी। प्रत्येक मतपेटी का टेस्ट निर्धारित मानको के अनुसार नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलीब्रेशन लेबोरेट्रीज (एनएबीएल) में निर्वाचन आयोग कराता है। इसके बाद जिन जिलों में यह मतपेटियां जाती हैं, वहां गठित तीन सदस्यीय कमेटी जांच करके अपनी रिपोर्ट आयोग को भेजती है। सभी मानकों पर सही मिलने के बाद ही मतपेटियों का इस्तेमाल किया जाता है। उद्यमी अमित ने बताया कि मतपेटियां बनाने के लिए कच्चे माल की आपूर्ति स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) से हुई है। दीपावली से उत्पादन का काम चल रहा है। तीन माह में आर्डर पूरा करना था।