कोरोना की रफ्तार थमते ही अधूरे रह गए आक्सीजन प्लांट
न्यूरो सांइस सेंटर में प्लेटफार्म तैयार प्लांट का हो रहा इंतजार।
जागरण संवाददाता, कानपुर : कोरोना वायरस के तेवर ढीले होते ही आक्सीजन प्लांट लगाने को लेकर शासन-प्रशासन द्वारा की जाने वाली मानीटरिग ढीली पड़ गई है। कोरोना की पहली व दूसरी लहर के दौरान,जब शहर में आक्सीजन की किल्लत से मौतों का आंकड़ा बढ़ा तो, प्रशासन से लेकर शासन तक ने आक्सीजन उपलब्धता के लिए दिन रात एक कर दिया। नतीजा रहा कि एलएलआर अस्पताल (हैलट) एवं उर्सला में दो प्लांट, डफरिन, कांशीराम अस्पताल, घाटमपुर एवं बिल्हौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में एक-एक प्लांट स्थापित हो गए। अब संक्रमण की वृद्धि दर लगभग नगण्य है तो हुक्मरान भी सुस्त हो गए हैं।
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न्यूरो साइंस सेंटर के कोविड अस्पताल में नहीं आया प्लांट
राज्य सरकार के स्तर से एलएलआर के न्यूरो साइंस सेंटर के कोविड अस्पताल में आक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाया जाना है। प्लेटफार्म बन कर तैयार है, लेकिन आज तक प्लांट ही नहीं आया है। ऐसे में कोविड हास्पिटल बिना प्लांट के पड़ा है। जेके ग्रुप ने आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए प्रस्ताव दिया है। शासन के स्तर से आज तक अनुमति ही नहीं मिल सकी है।
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पहली और दूसरी लहर में थी भयावह स्थिति
पहली व दूसरी लहर में मरीजों की संख्या बढ़ने पर आक्सीजन का संकट खड़ा हो गया था। आक्सीजन की किल्लत से अस्पताल जूझते रहे। आमजन अपने स्वजन की जान बचाने के लिए आक्सीजन सिलिडर के लिए इधर-उधर भटकते रहे। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार के स्तर से आक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाने के साथ ही विभिन्न संगठनों व संस्थाओं से कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) फंड से अस्पतालों में प्लांट लगाने की अपील की थी। उसके बाद से तेजी आई।
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जिला प्रशासन से लेकर शासन को अब तक प्लांट नहीं लगाए जाने की जानकारी दे चुके हैं। जेके ग्रुप के प्लांट की अनुमति मिलते ही कार्य शुरू कराया जाएगा। इसके लिए दो रिमांडर महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा को भेज चुके हैं।
- प्रो. संजय काला, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।