ग्रामीण अंचल में एचडीयू की कमान संभालेंगे ओटी टेक्नीशियन, कोविड हास्पिटल में किए जाएंगे तैनात

जिले की घाटमपुर बिल्हौर एवं सरसौल सीएचसी को एल-वन कोविड हास्पिटल बनाया गया है। प्रत्येक सेंटर पर 10-10 आक्सीजन कन्संट्रेटर उपलब्ध कराए जाने हैं जिसमें से पांच-पांच मिल चुके हैं। इन सेंटरों पर डाक्टरों की कमी है खासकर बाल रोग विशेषज्ञ एवं एनस्थेटिक नहीं हैं।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Sun, 04 Jul 2021 02:48 PM (IST) Updated:Sun, 04 Jul 2021 02:48 PM (IST)
ग्रामीण अंचल में एचडीयू की कमान संभालेंगे ओटी टेक्नीशियन, कोविड हास्पिटल में किए जाएंगे तैनात
एचडीयू में मरीजों की देखभाल का प्रशिक्षण दिया जा रहा

कानपुर, जेएनएन। कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए जिले से लेकर ग्रामीण अंचल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में युद्ध स्तर पर तैयारी चल रही है। शासन के निर्देश पर जिले की तीन सीएचसी में कोविड हास्पिटल बनाए जा रहे हैं। उसमें से 12 बेड बच्चों के लिए भी सुरक्षित रहेंगे। बच्चों के लिए 10 आइसोलेशन बेड और 2 बेड का एचडीयू रहेगा। ग्रामीण अंचल में एनस्थेटिक की कमी है, इसलिए ओटी टेक्नीशियन को एचडीयू में आक्सीजन कन्संट्रेटर और वेंटिलेटर आपरेट करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि एनस्थेटिक की अनुपस्थिति में उपकरणों को आपरेट कर सकें। ओटी टेक्नीशियन बकायदा आठ-आठ घंटे के लिए एल-वन और एल-टू कोविड हास्पिटल में तैनात रहेंगे।

जिले की घाटमपुर, बिल्हौर एवं सरसौल सीएचसी को एल-वन कोविड हास्पिटल बनाया गया है। प्रत्येक सेंटर पर 10-10 आक्सीजन कन्संट्रेटर उपलब्ध कराए जाने हैं, जिसमें से पांच-पांच मिल चुके हैं। इन सेंटरों पर डाक्टरों की कमी है, खासकर बाल रोग विशेषज्ञ एवं एनस्थेटिक नहीं हैं। इस समस्या से निपटने के लिए सभी विधाओं के डाक्टर, स्टाफ नर्स, ओटी टेक्नीशियन और वार्ड ब्वाय को मरीजों की देखाभाल एवं इलाज के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। ओटी टेक्नीशियन आपरेशन के दौरान के आपरेशन थियेटर के अंदर डाक्टरों के बीच में रहते हैं। उन्हेंं आक्सीजन के इस्तेमाल एवं मात्रा की भी जानकारी होती है। इसलिए उन्हेंं वेंटिलेटर, आक्सीजन कन्संट्रेटर एवं एचडीयू में मरीजों की देखभाल का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

बच्चों की देखभाल में सर्तकता जरूरी : कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने का अंदेशा जताया जा रहा है। इसलिए उनकी देखभाल एवं इलाज का खास इंतजाम किया जा रहा है। बच्चे छोटे होते हैं। उनके इलाज का तरीका बड़ों से अलग होता है। उन्हेंं कम मात्रा में दवाएं, नसें बहुत ही महीन होती हैं। उनके लंग्स भी बहुत छोटे होते हैं। उसके हिसाब से ही आक्सीजन और वेंटिलेटर सेट किए जाते हैं। इसलिए सतर्कता जरूरी है।

मास्टर ट्रेनर दे रहे लोकल स्तर पर ट्रेनिंग : राज्य स्तर से विशेषज्ञों ने आनलाइन ट्रेनिंग विषय विशेषज्ञों को देकर उन्हेंं मास्टर ट्रेनर बनाया है। यह मास्टर ट्रेनर स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसके लिए डफरिन अस्पताल में प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है।

इनका ये है कहना

कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी चल रही है। तीसरी लहर में ग्रामीण अंचल में भी व्यस्क के साथ-साथ बच्चों के इलाज का पूरा इंतजाम किया जा रहा है। आक्सीजन से लेकर बेड भी बढ़ाए जा रहे हैं। डाक्टरों एवं पैरामेडिकल स्टाफ का भी प्रशिक्षण भी चल रहा है।

- डा. जीके मिश्रा, अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कानपुर मंडल। 

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