गन्ने की खोई से क्रॉकरी बनाना सिखाएगा एनएसआइ,मूल्यवर्धित उत्पादों के उत्पादन विषय पर होगा वेबिनार

एनएसआई ने चीनी के कारखानों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के लिये भी समृद्धि प्लान तैयार किया है। माना जा रहा है कि इसके बाद इससे चीनी मिलों की न सिर्फ आय बढ़ेगी बल्कि किसानों और अन्य लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध हो सकेंगे।

By Sarash BajpaiEdited By: Publish:Tue, 09 Mar 2021 05:04 PM (IST) Updated:Tue, 09 Mar 2021 05:04 PM (IST)
गन्ने की खोई से क्रॉकरी बनाना सिखाएगा एनएसआइ,मूल्यवर्धित उत्पादों के उत्पादन विषय पर होगा वेबिनार
गन्ने की खोई से क्राकरी बनाना सिखाएगा एनएसआई।

कानपुर, जेएनएन। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) ने चीनी कारखानों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि का प्लान तैयार किया है। इससे चीनी मिलों की न सिर्फ आय बढ़ेगी, बल्कि किसानों और अन्य लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध हो सकेंगे।

यहां के विशेषज्ञों ने गन्ने की बेकार खोई से क्रॉकरी, पार्टिकल बोर्ड, बॉयलर की राख से पोटाश समृद्ध उर्वरक, गुड़ से बेकरी और प्रेस मड से बायोगैस तैयार करने में सफलता पाई है। इन तकनीकों को लघु, सूक्ष्म और मध्यम श्रेणी के केंद्रों के सहयोग से आगे बढ़ाया जाएगा। इसके लिए संस्थान की ओर से 16 मार्च को वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न प्रदेशों के एमएसएमई सेंटरों को आमंत्रित किया जाएगा। उद्घाटन खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण सचिव सुधांशु पांडेय करेंगे।

एनएसआइ के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि गन्ने की खोई किसी काम की नहीं मानी जाती है। संस्थान के विशेषज्ञों ने इसका उपयोग करके सह उत्पादन तैयार किए हैं। खोई से एकल प्रयोग वाली क्रॉकरी, फाइबरयुक्त बिस्कुट आदि बनाने में कामयाबी हासिल की है। गुड़ की मदद से चॉकलेट, केक, जैली और अन्य बेकरी आइटम बनाए हैं। इनमें चीनी का उपयोग बिल्कुल नहीं होता है। खोई से बने उर्वरक में पोटेशियम और अन्य तत्वों की मात्रा काफी अधिक पाई गई है, जिसका फायदा फसलों के लिए होगा। इन उद्योगों के विकसित होने से चीनी मिलों के पास ही नए उद्योग विकसित हो सकेंगे। नए स्टार्टअप तैयार होंगे। नौकरी के अवसर मिलेंगे। 

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