अब जीआइएस पर होंगी वाणिज्य कर विभाग की संपत्तियां, सूचीबद्ध हो रहे भवन और कार्यालय

प्रदेश सरकार की पहल पर वाणिज्य कर विभाग ने भी सभी संपत्तियों को जिओग्राफिकल इनफार्मेंशन सिस्टम से जोड़ने की तैयारी शुरू कर दी है । विभाग ने संपत्तियों का विवरण रिमोट सेंसिंग अप्लीकेशन सेंटर से भेज दी थीं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 01:49 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 01:49 PM (IST)
अब जीआइएस पर होंगी वाणिज्य कर विभाग की संपत्तियां, सूचीबद्ध हो रहे भवन और कार्यालय
प्रदेश सरकार की पहल पर वाणिज्य कर विभाग ने भी भेजा ब्यौरा।

कानपुर, जागरण संवाददाता। वाणिज्य कर विभाग के पूरे सूबे में जितने भी भवन, कार्यालय या अन्य संपत्तियां हैं वे सभी अब जिओग्राफिकल इनफार्मेशन सिस्टम (जीआइएस) पर होंगी। इसके लिए सभी 20 जोन से उनकी सपत्तियों की तो जानकारी मांगी ही गई है। इसके अलावा इन्हें लांगीट्यूड और लैटीट्यूड के साथ मांगी गई हैं ताकि उनकी सही लोकेशन जीआइएस पर चिह्नित हो सके।

प्रदेश सरकार अपनी सभी योजनाओं को जिओग्राफिकल इनफार्मेंशन सिस्टम के साथ जोड़ रही है। इसके लिए वाणिज्य कर विभाग ने भी अपनी सभी संपत्तियों को इससे जोड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। वाणिज्य कर विभाग ने अपनी सभी संपत्तियों का विवरण रिमोट सेंसिंग अप्लीकेशन सेंटर के जरिए आइटी अनुभाग को भेजी थीं लेकिन अधिकारियों ने जो संपत्तियों का डाटा भेजा था वह लांगीट्यूड और लैटीट्यूट के हिसाब से नहीं था। इसलिए उन्हें जिओग्राफिकल इनफार्मेशन सिस्टम में अपलोड नहीं किया जा सका।

अब रिमोट सेंसिंग अप्लीकेशन सेंटर के निदेशक ने इस कमी को दूर करते हुए संपत्तियों का विवरण मांगा है। इसके बाद वाणिज्य कर विभाग ने एक बार फिर अपने सभी जोन कार्यालयों को पत्र लिखकर कार्यालय भवनों, विभागीय आवासीय भवनों, निर्माणाधीन परियोजनाओं, वाणिज्य कर विभाग के कार्यालय, आवासीय भवन के निर्माण, उपलब्ध भूमि तथा वाणिज्य कर विभाग की विभागीय भूमि पर स्थापित पूर्व सहायता केन्द्र की सूची साफ्ट काफी में मांगी है।

इसके साथ ही लांगीट्यूट और लैटीट्यूड की जानकारी भी देने के लिए कहा गया है। इसके बाद से सभी जोनल कार्यालय अपने स्तर से जोन के अधीन आने वाली सभी संपत्तियों का डाटा फाइनल करा रहे हैं। इसके लिए जहां जोन स्तर पर अधिकारियों की टीम लगाई गई है वहीं प्रदेश मुख्यालय स्तर पर भी टीम लगाई गई है ताकि काम को जल्दी पूरा कर रिमोट सेंसिंग सेंटर को इस डाटा को भेजा जा सके।

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