घर-घर दस्तक देकर ढूंढे जाएंगे टीबी के मरीज, कानपुर में पहली बार चलेगा अभियान

कानपुर जिले में पहली बार टीबी मरीजों का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग 10 से 24 मार्च तक दस्तक अभियान चलाने जा रहा है। इसमें बुखार और क्षय रोगियों के साथ कुपोषित बच्चों और दिमागी बुखार से दिव्यांग हुए बच्चों की सूची तैयार होगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 11:52 AM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 11:52 AM (IST)
घर-घर दस्तक देकर ढूंढे जाएंगे टीबी के मरीज, कानपुर में पहली बार चलेगा अभियान
कानपुर में स्वस्थ्य महकमा अभियान शुरू करेगा।

कानपुर, जेएनएन। देश से वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय उसके हिसाब से रणनीति बनाकर कार्य में जुट गया है। इस कड़ी में दस्तक अभियान शुरू करने की तैयारी है। इस बार पहली बार घर-घर दस्तक देकर टीबी मरीज ढूंढे जाएंगे। इस अभियान को 10 मार्च से लेकर 24 मार्च तक चलाया जाएगा। इस दौरान जाने-अंजाने टीबी का संक्रमण फैलाने वालों को चिन्हित कर इलाज मुहैया कराया जाएगा।

सीएमओ डॉ. अनिल मिश्रा ने बताया कि पहली बार दस्तक अभियान में टीबी रोगियों को खोजने की जिम्मेदारी आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को देने की तैयारी है। वर्ष 2017 से दस्तक अभियान चलाया जा रहा है। इस बार दस्तक अभियान से टीबी को जोड़ा गया है। दस्तक अभियान के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा टीबी रोगी ढूंढे जाएंगे। उन्हें घर जाकर बुखार के रोगियों, क्षय रोगियों के साथ कुपोषित बच्चों और दिमागी बुखार से दिव्यांग हुए बच्चों की सूची तैयार कराई जाएगी।

जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. एपी मिश्रा ने बताया कि अभियान के दौरान लक्षणों के आधार पर आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संभावित टीबी रोगियों का पता लगाएंगी। बुखार के रोगियों को ढूंढने के साथ-साथ टीबी के लक्षण वाले रोगियों को ढूंढेंगी। इन रोगियों की जानकारी हेल्थ वर्कर एएनएम के माध्यम से ब्लॉक मुख्यालय तथा एनटीईपी स्टाफ को देंगी। उसकी जांच कराकर टीबी पीड़ितों को पंजीकृत कर निश्शुल्क इलाज कराया जाएगा।

टीबी के यह हैं लक्षण

टीबी के प्रमुख लक्षणाें में दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी आना, शाम को पसीने के साथ बुखार और तेजी से वजन घटना है। सीने में दर्द, भूख नहीं लगना और दवा लेने के बावजूद खांसी स्थाई तौर पर नहीं रुक रही है तो यह भी टीबी के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे लक्षण सूचना ब्लॉक मुख्यालय तथा एनटीईपी स्टाफ को दी जाएगी।

एक नजर रोगियों पर

जनवरी 2020 तक जिले में सरकारी और निजी क्षेत्र में 18,958 टीबी रोगी पंजीकृत किए जा चुके हैं। उनके इलाज की सफलता दर 80 फीसदी है।

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