गोविंदपुरी से चंदारी स्टेशन के बीच ट्रेनों को नहीं दिखाई जाएगी हरी झंडी, अब नहीं रहा अंग्रेजों का जमाना

कानपुर के गोविंदपुरी स्टेशन से चंदारी स्टेशन के बीच करीब ढाई सौ किमी के हिस्से में इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग का कार्य पूरा होने से अब माउस के एक क्लिक से ट्रेन दस सेकेंड में पास हो जाएगी अभी तक पांच मिनट का समय लगता था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 01:50 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 01:50 PM (IST)
गोविंदपुरी से चंदारी स्टेशन के बीच ट्रेनों को नहीं दिखाई जाएगी हरी झंडी, अब नहीं रहा अंग्रेजों का जमाना
कानपुर का गोविंदपुरी स्टेशन से भी अत्याधुनिक तरीके से ट्रेनों का संचालन होगा।

कानपुर, जेएनएन। गोविंदपुरी से चंदारी के बीच करीब ढाई किमी का हिस्सा अब अंग्रेजों के जमाने का नहीं रहा। रेलवे ने इसे पूरी तरह इलेक्ट्रानिक इंटरलाॅकिंग कर आधुनिक बना दिया है। 15 दिन के लक्ष्य को दस दिनों में पूरा करके रेलवे ने इस रूट पर गुजरने वाली 60-70 ट्रेनों को हरी झंडी नहीं दिखानी पड़ेगी। रेलवे अफसर माउस के एक् क्लिक से ट्रेन को पास कराएंगे, अभी एक ट्रेन को गुजारने में तीन से पांच मिनट का समय लगता था। सिग्नल की समस्या होने पर ट्रेनें अक्सर खड़ी हो जाती थीं और गंतव्य तक देरी से पहुंचती थी।

मैनुअल गुजारी जा रहीं थीं ट्रेनें

गोविंदपुरी से चंदारी के बीच ट्रेन को गुजारने में लोको केबिन का महत्वपूर्ण योगदान है। चूंकि यहां पहले काम मैनुअली होता था, इसलिए ट्रेन आने पर लोको केबिन में कार्यरत एक कर्मचारी को फोन पर चंदारी स्टेशन बात करना पड़ता था। वहां से ट्रेन पास करने की अनुमति मिलने के बाद दूसरे कर्मचारी लीवर खींचकर ग्रीन सिग्नल देते हैं। इस दौरान ट्रेन खड़ी रहती है। इसमें करीब तीन से पांच मिनट का समय आसानी से लग जाता है। दूसरे छोर से ट्रेन आने पर यही प्रक्रिया जीएमसी यार्ड तक के लिए अपनायी जाती है।

लोको केबिन बन गया स्टेशन

लोको केबिन को इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग से जोड़ दिया गया है। जिसके बाद ट्रेनों को गुजारने का पूरा काम कंप्यूटर आधारित हो चुका है। केबिन को भी आधुनिक रूप दिया गया है। यहां 42 इंच की दो एलईडी स्क्रीन भी लगायी गई है। इसमें एक एलईडी स्टैंड बाई मोड पर रहेगी, जबकि दूसरी से ट्रेनों के आवागमन पर निगाह रखी जाएगी। ट्रेनों को गुजारने में अब तीन नहीं बल्कि एक कर्मचारी ही पर्याप्त होगा। ट्रेनों को ग्रीन सिग्नल भी माउस क्लिक कर आसानी से दिया जा सकेगा और बिना रुके सुरक्षित तरीके से ट्रेनों को पास मिल जाएगा।

मेमू कारसेड भी जोड़ा

मेमू कारसेड अभी बनकर तैयार हो रहा है लेकिन आगामी भविष्य में सेंट्रल को मेमू हब बनाने की दिशा में काम कर रहे रेलवे ने इलेक्ट्रानिक इंटरलाॅकिंग से मेमू शेड को भी जोड़ दिया है। मेमू शेड के दिसंबर 2020 में शुरू होने की उम्मीद है, ऐसे में अधिकारियों का कहना है कि शेड शुरू होने के पहले दिन से ट्रेनों का सफल संचालन इलेक्ट्रानिक माध्यम से किया जा सकेगा। वर्ष 1950 से यहां ट्रेनों का संचालन मैनुअली किया जा रहा था। इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग इस रूट पर ट्रेनों के संचालन में एतिहासिक बदलाव लाएगी।-अनिल सिंह, डिवीजनल सिग्नल टेलीकॉम इंजीनियर

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