अब आई 'सांस', मांग 50 टन, स्टॉक 70 टन
जेएनएन कानपुर आक्सीजन का जबरदस्त संकट सहने के बाद अब कानपुर में कुछ राहत है। ए
जेएनएन, कानपुर : आक्सीजन का जबरदस्त संकट सहने के बाद अब कानपुर में कुछ राहत है। एक समय यहां 125 टन रोज की मांग थी और मात्र 50 से 55 टन आक्सीजन मिल रही थी। अब मांग घटकर 40 से 50 टन पर पहुंच गई है। हालांकि स्टॉक 70 टन का है। इसके अलावा अन्य स्रोतों से भी आक्सीजन मिल रही है।
अप्रैल के पहले सप्ताह के बाद से ही शहर में आक्सीजन की किल्लत शुरू हो गई थी। सिलिडर भरवाने के लिए पांचों ऑक्सीजन प्लांट के बाहर लाइनें लग रही थीं। हर समय कई सौ लोग लाइन में लगे रहते थे। अस्पताल और नर्सिंग होम की गाड़ियों में लदे सिलिडर में आक्सीजन भरवाने की मारामारी थी। जिस शहर में रोज 50-55 टन आक्सीजन आती हो, वहां मांग उससे भी ढाई गुना अप्रैल के अंत तक हो गई थी, जिन्हें आक्सीजन नहीं चाहिए थी, उन्होंने भी आक्सीजन सिलिडर घर पर भरवा कर रख लिए कि कहीं जरूरत न पड़ जाए। 28 अप्रैल को शासन को लिखे अपने पत्र में मंडलायुक्त ने खुद कहा था कि शहर को 125 टन आक्सीजन चाहिए लेकिन शहर को 50-55 टन आक्सीजन ही मिल रही है। 29 अप्रैल को सक्रिय मरीजों की संख्या 18,800 थी। इसके बाद सक्रिय संक्रमितों की संख्या गिरनी शुरू हुई। 15 मई की शाम तक यह संख्या पांच हजार के अंदर आ चुकी थी। मरीजों की संख्या कम होने की वजह से आक्सीजन की मांग भी कम हुई और रविवार को 40 से 50 टन आक्सीजन की मांग ही रह गई, जबकि शहर में स्टॉक 70 टन का है।
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बाहर से मंगाई जा रही ऑक्सीजन
ट्रेन से तकरीबन हर रोज 40 टन ऑक्सीजन शहर आने के साथ ही मेडिकल कालेज को देहरादून की लिडे कंपनी 30 हजार लीटर ऑक्सीजन की आपूर्ति करती है। मुरारी गैस के पास 5.5 टन और हरिओम गैस के पास 3.5 टन ऑक्सीजन बनाने की क्षमता का प्लांट है। इसके अलावा रिमझिम इस्पात से रोज ही 600 सिलिडर भी मिलते हैं। स्टोर क्षमता की बात करें तो इंडेन के कंटेनर में 120 टन ऑक्सीजन एकत्र की जा सकती है। कानपुर के पांच ऑक्सीजन प्लांट के पास करीब 150 टन ऑक्सीजन एकत्र करने की क्षमता है। इसके अलावा मेडिकल कालेज के पास 30,000 लीटर भंडारण की सुविधा है।